April 28, 2024

जयपुर-श्री दक्षिण मुखी बालाजी मंदिर हाथोज धाम में पौषमाह लगने से पूर्व मंदिर की सेवा, पूजा, भोग में परिवर्तन किया जाता है। स्वामी श्री बालमुकुंदाचार्य जी महाराज हाथोज धाम ने बताया कि यह प्राचीन परंपरा है।

हाथोज धाम क्षेत्र में लगभग 450 वर्ष पुराना स्थान है। मंदिर में सीताराम जी का विग्रह एवं दक्षिण मुखी बालाजी का मंदिर हाथोज धाम के नाम से विख्यात है।

शीतकाल प्रारंभ होने के साथ ठाकुर जी को गर्म वस्त्र धारण कराए जाते हैं। रात्रि को शयन से पूर्व अंगीठी गर्म करके मंदिर प्रांगण में रखी जाती है। ताकि मंदिर गरम रहे और शीतकाल में भगवान के गुड़, गेहूं की लापसी का भोग लगाया जाता है। शीतकाल में आरती के समय में परिवर्तन किया जाता है। भगवान का श्रृंगार ऋतु पुष्पों के अनुसार किया जाता है।

शरद ऋतु में प्रातःकाल की आरती 7 बजे होती है संध्या की आरती 6:30 बजे की जाती है। रात्रि में भगवान को रात्रि 9 बजे शयन कराया जाता हैं। भगवान के भोग आरती सेवा पूजा सर्दी के मौसम के अनुरूप की जाती है।

तहलका डॉट न्यूज