April 28, 2024

जयपुर – अभी यह तो नहीं कहा जा सकता है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले गांधी परिवार के बीच कोई खींचतान चल रही है, लेकिन यह सही है कि सीएम गहलोत के 15 व 16 अक्टूबर के दो दिन के दिल्ली प्रवास में उनकी वन टू वन मुलाकात कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से नहीं हुई। यह तब हुआ, जब एंजियोप्लास्टी के बाद गहलोत पहली बार दिल्ली गए थे। 16 अक्टूबर को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में भाग लेने के लिए गहलोत 15 अक्टूबर की शाम को ही दिल्ली पहुंच गए थे। चूंकि गहलोत गांधी परिवार खास कर श्रीमती सोनिया गांधी के निकट हैं, इसलिए माना जा रहा है कि उनकी मुलाकात सोनिया गांधी से जरूर होगी। और कुछ नहीं तो गहलोत के स्वास्थ्य के बारे में तो सोनिया गांधी जानकारी अवश्य लेंगी।

लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 15 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचने के बाद गहलोत ने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार की विश्वासपात्र अंबिका सोनी से मुलाकात की। इस मुलाकात के लिए गहलोत एयरपोर्ट से सीधे अंबिका सोनी के घर पर गए। गहलोत की सोनिया गांधी से मुलाकात वर्किंग कमेटी की बैठक में हुई। इस बैठक के बाद गहलोत को राहुल गांधी के आवास पर जाना पड़ा। यहीं पर गहलोत की मुलाकात प्रियंका गांधी से हुई। माना जा रहा है कि राजस्थान के संदर्भ में तीनों के बीच महत्वपूर्ण विचार विमर्श हुआ। राहुल गांधी के साथ बैठक समाप्त होने के बाद गहलोत 16 अक्टूबर की रात को ही जयपुर लौट आए। गहलोत रात को ही जयपुर आ सके, इसके लिए एयर एयरवेज की विशेष विमान बुक करवाना पड़ा।

दो दिन के दिल्ली प्रवास के बाद भी गहलोत की मुलाकात सोनिया गांधी से नहीं होने को लेकर अब राजनीतिक क्षेत्रों में अनेक चर्चाएं हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमित होने की वजह से गहलोत पिछले एक वर्ष से दिल्ली ही नहीं गए। गहलोत पहले संक्रमित हुए और अगस्त में गहलोत को एंजियोप्लास्टी करवानी पड़ी। गहलोत ने स्वयं माना कि एंजियोप्लास्टी की नौबत कोरोना संक्रमण के कारण आई है। संक्रमण और फिर एंजियोप्लास्टी की वजह से गहलोत दस माह तक सरकारी आवास पर ही क्वारंटाइन रहे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही गहलोत ने सरकारी कामकाज निपटाया। राहुल प्रियंका से मुलाकात के बाद देखना है कि गहलोत अपने प्रतिद्वंदी पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को किस प्रकार संतुष्ट करते हैं। गहलोत और पायलट ने पिछले दिनों भले ही एक साथ चुनावी सभा की हो, लेकिन दोनों के मन नहीं मिले हैं।

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