May 9, 2024

स्ट्रीट फुड की कड़ी में आज हम बात करेंगे, साबूदाने की खिचड़ी और वड़ा की. जी हां साबूदाने की जायकेदार खिचड़ी और लाजवाब वड़ा (पकौड़े) की. बिना लहसून प्याज के बनने वाली खिचड़ी की मांग तो नवरात्रि में ज्यादा रहती है. इसके अलावा मंगलवार, गुरुवार और शनिवार का उपवास रखने वाले लोगों की भी पहली पंसद है. इसके अलावा सामान्य लोग भी बड़े चाव के साथ खाते हैं. शुद्धता का भी पूरी तरह से ख्याल रखा जाता है.

मातेश्वरी फलहारी

दही के साथ भी खाते हैखिचड़ी को नीबू के रस और वड़ा को मिर्ची की चटनी या दही के साथ आलू चाट की तरह खाते हैं.

उपवास के दौरान कुछ लोग केवल फलाहार लेकर नौ दिन गुजारते हैं, तो कुछ व्रत का खाना खाते हैं. अगर आप व्रत के खाने में स्वाद को और बढ़ाना चाहते हैं, और उसमें सेहत का तड़का डालना चाहते हैं तो मातेश्वरी फलहारी का स्वाद लेना बिलकुल न भूले.अगर आपको साबूदाने की खिचड़ी पसंद है तो यकीन मानना यहां का स्वाद आप की कभी भुला नहीं पाओगे.

फलाहारी खिचड़ी में मिलाए जाने वाले मसाले भी विशेष होते है.इसमें खाने की नमक की जगह सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है. सेंधा नमक से बने मिक्चर को साबूदाने की खिचड़ी में मिलाया जाता है. इससे उपवास के दिन धर्म शास्त्रों में मान्य नमक खाने से उपवास टूटता नहीं है.

सुबह 11 बजे से सामान खत्म होने तक रहती है भीड

मातेश्वरी फलाहारी में फलाहारी ठेले के खुलने का समय दोपहर ढाई बजे से रात लगभग 11 बजे तक निर्धारित है. दुकान खुलते ही ग्राहकों की भीड़ लग जाती है. जो आयटम खत्म होने तक जारी रहता है

यहां से गुजरने वाले इनके यहां का साबूदाना वडा और साबूदाना खिचड़ी खाये बिना नहीं जाता.इनकी खासियत इनका स्वाद है.अपने व्यंजनों में बढ़िया मसाले और अद्बुध स्वाद के कारण मातेश्वरी फरियाली सेंटर आज भीलवाड़ा में अपनी पहचान बना चुके है.तो सोचना कैसा अगर आप भी कभी इनकी दूकान की तरफ जाये तो यहां का स्वाद लेना बिलकुल ना भूले.

तहलका डॉट न्यूज