November 24, 2024
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कोटा राजस्थान का एक प्रमुख औद्योगिक शैक्षणिक शहर है. यह चम्बल नदी के तट पर बसा हुआ है.वही कोटा में खान-पान की बात हो और पान का जिक्र नहीं करे तो बात कुछ अधूरी-अधूरी सी लगती है. पान का इतिहास 5000 सालों से भी ज्यादा पुराना है. अगर आपने कभी गौर किया हो तो पान का ज़िक्र श्रीमद भागवत गीता में भी हुआ है जिसमे श्री कृष्णा पान चबाया करते थे.

पान साँसों को ताज़ा करने के लिए और मेहमानों को सम्मान के तौर पर खिलाया जाता है.पान का भारत से सांस्कृतिक रूप से भी काफी जुड़ाव है.पान धूप, दीप के साथ आराध्य देव को भी चढ़ाया जाता है.

तो आइये आज हम आप को बताते है जो कोटा की शान और पहचान दोनों है जी हां…हम बात कर रहे हैं कोटा की मशहूर पान की दूकान “रघु पान पैलेस

यह पान पैलेस कोटा का काफी मशहूर पान पैलेस है और इसकी वजह है यहाँ के पान का बेहतरीन स्वाद। यहाँ पर आपको लगभग 40 तरीके के पान मिल जाएँगे जिसमे है रजवाडी पान, फायर पान, आइस पान, चॉकलेट पान, स्ट्रॉबेरी पान, ड्राई फ्रूट पान, सादा पान, मीठा पान और तम्बाकू पान। हमने यहाँ चॉकलेट पान को बनते देखा। एक पूरी कटोरी में भरा ये पान करीब 3 लोगो के खाने के लिए काफी है. हालाकि आपके लिए इस पान को बांटना थोडा मुश्किल होगा क्योंकि आप इस पुरे पान को अकेले खाना चाहेंगे. इसमें साधारण पान की सामग्री के साथ साथ जेली, चेरी, कद्दूकस किया नारियल, चॉकलेट सॉस, चॉकलेट चिप्स, सुपारी, खजूर सुपारी भी डाली जाती है. दिखने में तो ये पान खूबसूरत लगेंगे ही साथ ही इनका स्वाद भी आपकी ज़बान पर ठहर जाएगा.

यहाँ के पान की ये खासियत है की ये अपने पान में ख़ास बनारसी पान की पत्ती का इस्तेमाल करते है जो बहुत स्वादिष्ट और सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं. इन पत्तियों में गुलकंद, गुलकंद सुपारी, सौफ और खजूर सुपारी को पत्ते में भर के इसका मीठा पान बनाते है.

रघु पान पैलेस सादे, मीठे और तम्बाकू पान के साथ साथ ओर भी बहुत तरह के पान बनाते है जैसे फायर पान, आइस पान, चॉकलेट पान,रसगुल्ला पान, बटर स्कॉच, फ्रेश फ्रूट, रसभरी…

अच्छी कीमत में अगर आपको अलग अलग तरह के पान का मज़ा लेना है तो आपको यह ज़रूर जाना चाहिए। हो सकता है की आप ये सुन के चौंक जाये लेकिन फायर पान आग से भरा पान है. असल में ये एक मामूली पान है जिसमे आखिर में एक लौंग पर आग लगा कर उसे उसी वक़्त खिलाया जाता है. इसमें आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है ये आपके मूंह में आग नहीं लगाएगा. इसकी आग मुंह में जाते ही मिट जाती है ओर पीछे छोड़ जाती है एक बेहतरीन स्वाद.

इनके यहाँ का पान को खाने के लिए लोग बेचैन रहते है. करीब 30 साल पहले बालमुकुन्द जी ने कोटा के भीम मंडी के पास ““रघु पान ” के नाम से पान की दूकान की शुरुवात की थी और उनके साथ उनके पुत्र दिनेश और परमानन्द जी साथ मिलकर इस काम को बखूभी संभाला.आज वही कोटा की मशहूर पान की दूकानो में से एक है.आज वही कोटा की मशहूर पान की दूकानो में से एक है.

वैसे तो पान की दूकान कोटा की हर गली हर मोड़ पर है जिसकी गिनती भी नहीं की जा सकती लेकिन रघु पान पैलेस की दूकान में कुछ अलग सा मजा कुछ ख़ास ही अंदाज है.कई लोगों से हमने बात की तो पता चला की वो यहां स्पेशल आते ही पान खाने के लिए है.साथ ही साथ अगर आप इनके पान का घर बैठे भी स्वाद लेना चाहते हैं तो इसकी सुविधा भी उपलब्ध हैं. यहां सुबह से ही अलग- अलग किस्म के पान बनने का सिलसिला शुरु हो जाता है.जो देर रात तक इसी प्रकार चलता रहेता है.

यह दुकान इतनी मशहूर की यहां हर पल लोगों की भीड़ लगी रहती हैं.तो सोचना क्या अलग अंदाज से और सब से अलग तरीके के पान का स्वाद लेने के लिए आपको भी एक बार ““रघु पान पैलेस” ” पर जरूर जाना चाहिए.