May 20, 2024

जयपुर(जे.पी)- वागीश्वरी काव्य निर्झरिणी” साहित्यिक मंच के तत्वावधान में “होली महोत्सव” के पावन अवसर पर दिनांक 22 तथा 23 मार्च को गुगल-मीट के माध्यम से ऑनलाइन “कवि-सम्मेलन” का आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। दोनो दिन निर्धारित समय सायं 8 बजे से कवि-सम्मेलन प्रारंभ हुआ तथा लगभग 10.15 तक चलता रहा।
“प्रथम दिवस (22 मार्च)” को संस्था के संस्थापक तथा छंदगुरु डॉ॰ अर्जुन गुप्ता ‘गुंजन’ नें स्वागत उद्बोधन के माध्यम से सबसे पहले आज कवि सम्मेलन में उपस्थित सभी काव्य मनीषियों तथा विदूषियों का स्वागत अभिनंदन किया तथा आज के कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत किया। तत्पश्चात संस्था के सचिव हरीश कुमार सिंह भदौरिया के द्वारा माँ शारदे की वंदना प्रस्तुत की गयी। संस्था की संरक्षक विनीता निर्झर के सारगर्भित काव्य-पाठ से कवि-सम्मेलन का शुभारंभ हुआ।

इसके बाद संचालक द्वय संगीता श्रीवास्तव तथा सुविधा पण्डित के कुशल संचालन में कार्यक्रम सफलतापूर्वक संचालित हुआ।

सूची के क्रमानुसार उपस्थित कवियों तथा कवयित्रियों किरण कुमारी ‘वर्तनी’, दुर्गा मिश्र बाबा, विशाल जैन ‘पवा’, मानसी मित्तल, कल्याण दास साहू पोषक, कुमकुम कु० सिन्हा, टी. विजयलक्ष्मी, कुमार सुनील नारायण, गौतमी चतुर्वेदी पाण्डेय, प्रणति ठाकुर, ऋतु अग्रवाल तथा रानू मिश्रा ‘अजिर’ ने प्रदत्त विषय होली पर अत्यंत मनोहारी तथा मधुरिम गीत, ग़ज़ल, छंद तथा छंदमुक्त रचना प्रस्तुत किया। इसके बाद हरीश कु० सिंह भदौरिया ने तथा संस्थापक डॉ० अर्जुन गुप्ता ‘गुंजन’ ने बहुत सुन्दर सारगर्भित तथा सराहनीय काव्य प्रस्तुति दिया। सभी ने अपनी भावाभिव्यक्ति से कार्यक्रम को अपनी रचनाओं के माध्यम से होली के रंगो में सराबोर कर दिया, जिससे माहौल अत्यंत खुशनुमा तथा तरंगनुमा बन गया। राधा कृष्ण की भव्य तथा दिव्य होली का जिक्र अधिकाँश कवियों तथा कवयित्रियों की काव्य प्रस्तुति का केंद्र विंदु रहा।

इसके बाद कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ० शिप्रा मिश्रा जी ने उपस्थित सभी कलमकारों की प्रस्तुति की समीक्षा करते हुये अध्यक्षीय उद्बोधन प्रस्तुत किया तथा अपनी काव्य प्रस्तुति दिया। कार्यक्रम के अंत में सचिव हरीश कुमार सिंह भदौरिया ने कवि सम्मेलन में प्रतिभाग करने वाले सभी साहित्य साधकों तथा साहित्य प्रेमियों के प्रति आभार प्रकट करते हुये कार्यक्रम समाप्ति की उद्घोषणा की।

“द्वितीय दिवस (23 मार्च)” को संस्था के संस्थापक डॉ॰ अर्जुन गुप्ता ‘गुंजन’ नें सर्वप्रथम उपस्थित सभी विद्वतजनों को संबोधित करते हुये स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया तथा आज के कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में अवगत कराया। कवि सम्मेलन की कार्यवाही प्रारंभ होने से पहले उन्होनें माँ शारदे का वंदन गीत प्रस्तुत करके सभा को मंत्रमुग्ध कर दिया। तत्पश्चात संस्था की संरक्षक विनीता निर्झर के सुमधुर काव्य-पाठ से कवि-सम्मेलन का शुभारंभ हुआ।

इसके बाद संचालक द्वय विनीता लवानियाँ तथा अलका गुप्ता के कुशल संचालन में कार्यक्रम की अग्रीम कार्यवाही प्रारंभ हुई।

सूची के अनुसार क्रमवार राज कुमारी चौहान, अर्चना वर्मा, ललिता कश्यप, प्रो. शरद नारायण खरे, गीता कुमारी गुस्ताख, सुधीर श्रीवास्तव, मधु गुप्ता महक, राकेश भटनागर ‘भ्रमर’, संजय गुप्ता, सुधा त्रिपाठी, अंजना सिन्हा तथा कंचन वर्मा जी ने होली पर आधारित रंगारंग काव्य प्रस्तुति देकर समां बाँध दिया। ब्रज की होली जिसमें राधा कृष्ण की अलौकिक तथा दिव्य छटा की विशेषता होती है, पर अधिकतर कवियों तथा कवयित्रियों नें भव्य काव्य प्रस्तुति दिया।

तत्पश्चात संस्थापक डॉ. अर्जुन गुप्ता गुंजन नें छंदों के बारे में बताया कि यह सनातनी होने के साथ-साथ ईश्वरीय विद्या है। इस क्रम में उन्होने आचार्य पिंगल के अलावा छंद गुरु शेषनाग जी तथा गरुड़ जी के बिच एक पौराणिक गाथा का जिक्र भी किया। उन्होनें इस मंच की भावी योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि छंदो की पाठशाला / कार्यशाला के साथ-साथ हिन्दी साहित्य का इतिहास, अलंकार, रस, शब्दों के भेद तथा साहित्यिक साक्षात्कार इत्यादि विषयों पर भी कक्षायें/ कार्यशालायें/ व्याख्यानमालायें आयोजित की जायेंगी, जो कि विचाराधीन हैं।

डॉ॰ अर्जुन नें पटल को अवगत कराया कि समान विचारधारा के लोगों को इस मंच से जुड़ने का आह्वान किया, जिससे आगामी विचाराधीन साहित्यिक गतिविधियों को तथा छंदो की पाठशाला को निरंतर अबाध गति से क्रियाशील रखा जा सके। उन्होनें बताया कि इस पटल पर सभी संचालित सभी गतिविधियाँ तथा ई-पत्रिका (संचेतना के स्वर) पूर्णत: नि:शुल्क हैं।

इसके बाद हरीश कुमार सिंह नें राधा-कान्हा की अनुपम होली गीत को प्रस्तुत करके कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिया। तत्पश्चात डॉ॰ अर्जुन गुप्ता ‘गुंजन’ ने बहुत सुन्दर तथा सुरुचिपूर्ण काव्य पाठ प्रस्तुत किया।

तत्पश्चात कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ० पंकजवासिनी ने सारगर्भित समीक्षा प्रस्तुत किया तथा अपनी उत्कृष्ट काव्य प्रस्तुति दिया। कार्यक्रम के अंत में विनीता लवानियाँ ने आज कवि सम्मेलन में भाग लेने वाले सभी प्रबुद्ध रचनाकारों तथा सहयोगियों के प्रति आभार ज्ञापित करते हुये कार्यक्रम समाप्ति की उद्घोषणा की।