May 18, 2024

रावण वध की लीला का मंचन, 60 फिट ऊंचे पूतले का हुआ दहन

कोटपूतली:(संजय कुमार जोशी)

अपने पुरे परिवार के रणभूमि में भगवान श्रीराम व लक्ष्मण के हाथों मारे जाने के बाद लंकापति दशानन रावण स्वयं रणभूमि में उतर आया। इतने योद्धाओं का वध होने के बावजुद भी उसे इस बात का आभास नहीं हुआ कि राम स्वयं नारायण के अवतार है। राम व रावण में भीषण संग्राम होता है। वह अट्टाहास करता हुआ अस्त्र पर अस्त्र चला रहा था। तभी प्रभु श्रीराम अपने तीर से रावण का सिर धड़ से अलग कर देते हैं, पर ये क्या उसका एक नया सिर धड़ पर आ जाता है। तब विभीषण प्रभु श्रीराम को बताते है कि रावण की नाभि में अमृत कलश है, उसे देवताओं द्वारा बताये गये समय पर निशाना बनाईयें। तभी प्रभु श्रीराम रावण की नाभि पर ब्रह्मास्त्र चलाते है। जिस पर तीनों लोकों के स्वामी होने का दम्भ भरने वाला लंकापति रावण धरती पर आ गिरता है। आखिरकार विनाशकाले विपरित बुद्धि की कहावत चरितार्थ हो जाती है। रावण श्रीराम के नाम का उद्घोष कर अपने प्राण त्याग देता है।

उक्त संवादों का मंचन रामलीला के अन्तिम दिन हुआ। इससे पूर्व आजाद चौक स्थित कचहरी परिसर से राम व रावण की सेनायें नागाजी की गौर स्थित दशहरा स्थल पहुँची। भगवान राम की सेना का मार्ग में जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। वरिष्ठ चिकित्सक अश्वनी गोयल द्वारा श्रीराम, लक्ष्मण, हनुमान जी का तिलक किया गया।

रावण दहन में कस्बे के श्री जगन्नाथ मंदिर, श्री केशवराय मंदिर, श्री नृसिंह मंदिर से भगवान के डोले पहुँचे। इस दौरान रावण के 60 फिट ऊँचे पूतले का दहन करते ही दशहरा स्थल जय श्रीराम के नारों से गुंज उठा। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने डोलों के नीचे से निकलकर भगवान का आर्शीवाद लिया। इस दौरान रावण-अंगद संवाद, रावण द्वारा लक्ष्मण को ज्ञान दिये जाने की लीला का मंचन भी किया गया। गुरूवार को प्रभु श्रीराम के अयोध्या लौटने पर राजतिलक की लीला का मंचन किया जायेगा। रावण दहन में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।

अहिरावण वध की लीला का हुआ मंचन :- लक्ष्मण के प्राण बचने का समाचार जब लंकापति रावण को मिलता है तो तिलमिलाकर अपने भाई कुम्भकर्ण को नींद से जगाता है। कुम्भकर्ण पुरा वृतांत सुनकर रावण को समझाता है कि वैदेही का हरण कर उसने बहुत ही गलत किया है। परन्तु वह अपने भाई के पक्ष से लडऩे के लिए रणभूमि में पहुँचता है। जहाँ छोटे भाई विभीषण से संवाद होने पर कहता है कि वह जानता है कि सत्य क्या है और असत्य क्या है। फिर भी वह रणभूमि में अपने ही धर्म का पालन करेगा। भीषण युद्ध में कुम्भकर्ण श्रीराम के हाथों मारा जाता है।

वहीं दुसरी ओर मेघनाथ अपराजित रहने के लिए अपनी कुलदेवी माँ निकुम्भला की सिद्धि के लिए यज्ञ करता है। जिसे विभीषण द्वारा स्थान बताये जाने पर लक्ष्मण भंग कर देते है। अब मेघनाथ अन्तिम बार युद्ध के मैदान में आता है, जहाँ वह लक्ष्मण के हाथों वीर गति को प्राप्त होता है। सभी योद्धाओं के मारे जाने से परेशान रावण पाताल लोक के राजा अपने भाई अहिरावण का आह्वान करता है। अहिरावण भगवान श्रीराम व लक्ष्मण को उठाकर पाताल लोक ले जाता है। जहाँ हनुमान जी पाताल लोक पहुँचकर राक्षस अहिरावण का वध कर देते है एवं भगवान श्रीराम व लक्ष्मण को छुड़वाकर लाते है। अब शिवजी का परम भक्त रावण स्वयं युद्ध भूमि में उतरने की तैयारी करने लगता है।

उक्त संवादों का मंचन मंगलवार रात्रि को कस्बे के आजाद चौक स्थित कचहरी परिसर के रामलीला मंच पर श्री रामलीला मण्डल कोटपूतली के तत्वाधान में आयोजित की जा रही रामलीला में अन्तिम दिन किया गया।

इस दौरान कुम्भकर्ण वध, लक्ष्मण-रावण, लक्ष्मण-सुलोचना संवाद, मेघनाथ वध, हनुमान-मकरध्वज संवाद व पाताल लोक में माँ कामना पूजा की लीला देखकर दर्शक रोमांचित हो उठे।

इस मौके पर अतिथि के रूप में पहुँचे युवा कांग्रेस के विधानसभा अध्यक्ष राकेश रावत, आरजेडी नेता रामनिवास यादव, शिक्षाविद् पूरण कसाना, वसुंधरा राजे समर्थक मंच के प्रदेश मंत्री विकास डोई, नगर अध्यक्ष अभिषेक अग्रवाल का कमेटी सदस्यों ने दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया। इस दौरान कमेटी अध्यक्ष रमेश महाकाल, महामंत्री महेन्द्र शर्मा, उपाध्यक्ष कमलेश मीणा, कुलदीप जोशी, हजारी लाल राय, राजेश ढ़ोढू, पप्पु पांचाल, भौरेलाल गुर्जर, नेमीचंद, जगदीश बसीठा, लालाराम सैन, कैलाश सैन, राधेश्याम शर्मा, चन्द्रकांत शर्मा, नितिन जोशी, रतनलाल राय, प्रवीण बंसल, सीताराम बंसल समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शक मौजूद रहे। प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी बड़ौदा मेव से आई कमल उस्ताद एण्ड पार्टी द्वारा रामलीला का मंचन किया गया। जिसमें स्थानीय कलाकार के रूप में मंडल अध्यक्ष रमेश सुरोलिया रावण का, राम का सोनू कुमार नगर वाले, नितिन जोशी लक्ष्मण का, विभीषण का रोहिताश, मेघनाथ का मोनू नगर, सीता का गोपाल नगर वाले, हनुमान जी का अभय सिंह, चन्द्रकांत शर्मा ने अंगद का, लालाराम सैन ने सुग्रीव का, जोकर का कमलेश उस्ताद ने किरदार निभाया। जबकि व्यास पीठ पर पं. जगनलाल ने चौपाईयों का मंचन किया।

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