November 24, 2024
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गुलाबपुरा: गुलाबपुरा में परदेसी कमेटी के द्वारा छठ पूजा का आयोजन खारी नदी के तट पर किया गया। इसमें काफी संख्या में यूपी बिहार झारखंड के लोगों ने छठ मैया की पूजा अर्चना की और अपनी संतानों के लिए सुख समृद्धि की कामना की।

इस अवसर पर गुलाबपुरा चेयरमैन सुमित कालिया, पार्षद रामदेव खारोल, महावीर लड्ढा ,गनी मोहम्मद, राजकुमार पाटनी पूर्व प्रधान मधुसूदन पारीख,अविनाश मेवाड़ा आदि गणमान्य लोग भी उपस्थित हुए।

चेयरमैन सुमित कालिया ने परदेसी कमेटी से वादा किया कि अगली बार छठ पूजा पर खारी के तट को व्यवस्थित करके परदेसी कमेटी और यूपी बिहार झारखंड के लोगों के लिए सुंदर स्थान बना दिया जाएगा।

परदेसी कमेटी के द्वारा सभी गणमान्य लोगों का साफा पहनाकर स्वागत किया गया।परदेसी कमेटी के कार्यकर्ताओं ने चेयरमैन का धन्यवाद ज्ञापित किया|           

इस अवसर पर प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य पूर्व चेयरमैन धनराज गुर्जर वह पत्रकार एसपीएस सोनी सब का भी साफा और माला पहनाकर स्वागत किया गया ।इस अवसर पर परदेसी कमेटी के बलरामगुप्ता,शैलेन्द्र झा, अर्जुन सिंह, तेज नारायण, P.N.JHA,अरविन्द सिंह राजीव सिंह ,मुखराम आदी सभी परदेशी कमेटी, गुलाबपुरा के सभी सदस्य उपस्थित थे।

छठ पर्व हर साल कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है। ये तिथि इस बार 10 नवंबर को पड़ रही है। मुख्य रूप से इस पर्व को बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इस पर्व में 36 घंटे निर्जला व्रत रख सूर्य देव और छठी मैया की पूजा और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। मान्यता है छठ पूजा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती हैं। खासकर इस व्रत को संतानों के लिए रखा जाता है। कहते हैं जो लोग संतान सुख से वंचित हैं उनके लिए ये व्रत वरदान साबित होता है।

जानिए छठ पर्व की पूजा विधि, सामग्री, प्रसाद, कथा और आरती।छठ पर्व के दिन प्रात:काल स्नानादि के बाद संकल्प लिया जाता है। संकल्प लेते समय इस मन्त्र का उच्चारण किया जाता है।

ॐ अद्य अमुक गोत्रो अमुक नामाहं मम सर्व पापनक्षयपूर्वक शरीरारोग्यार्थ श्री सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये।

पूरे दिन निराहार और निर्जला व्रत रखा जाता है। फिर शाम के समय नदी या तालाब में जाकर स्नान किया जाता है और सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है।
-अर्घ्य देने के लिए बांस की तीन बड़ी टोकरी या बांस या पीतल के तीन सूप लें। इनमें चावल, दीपक, लाल सिंदूर, गन्ना, हल्दी, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी रखें। साथ में थाली, दूध और गिलास ले लें। फलों में नाशपाती, शहद, पान, बड़ा नींबू, सुपारी, कैराव, कपूर, मिठाई और चंदन रखें। इसमें ठेकुआ, मालपुआ, खीर, सूजी का हलवा, पूरी, चावल से बने लड्डू भी रखें। सभी सामग्रियां टोकरी में सजा लें। सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में एक दीपक भी जला लें। इसके बाद नदी में उतर कर सूर्य देव को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय इस मंत्र का उच्चारण करें।
*ऊं एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।*
*अनुकम्पया मां भवत्या गृहाणार्ध्य नमोअस्तुते॥*

*कौन हैं छठी मइया…*
मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए जीवन के महत्वपूर्ण अवयवों में सूर्य व जल की महत्ता को मानते हुए, इन्हें साक्षी मान कर भगवान सूर्य की आराधना तथा उनका धन्यवाद करते हुए मां गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर ( तालाब ) के किनारे यह पूजा की जाती है। षष्ठी मां यानी छठ माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं। इस व्रत को करने से संतान को लंबी आयु का वरदान मिलता है। मार्कण्डेय पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि सृष्ट‍ि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया है। इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है, जो ब्रह्मा की मानस पुत्री हैं।

छठ पूजा की कहानी
राजा और उनकी पत्नी ने कार्तिक शुक्ल की षष्टी तिथि के दिन देवी षष्टी की पूरे विधि-विधान से पूजा की। इस पूजा के फलस्वरूप उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। तभी से छठ का पावन पर्व मनाया जाने लगा। छठ व्रत के संदर्भ में एक अन्य कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा।।             

तहलका डॉट न्यूज़
(प्रशांत काबरा)