April 26, 2024

उदयपुर राजस्थान का एक नगर एवं पर्यटन स्थल है जो अपने इतिहास, संस्कृति और अपने आकर्षक स्थलों के लिये प्रसिद्ध है ही वहीं उदयपुर अपने खान-पानऔर जायके के लिए भी विश्व प्रसिद है..

उदयपुर में भी खाने के शौक़ीन लोगों की तादाद काफी है.कोई कहीं भी घूमने चले जाये तो सबसे पहले वहां की मशहूर खाने की ही तलाश करते है.हम कहीं भी चले जाये पर खाना अच्छा न हो तो पूरा ट्रिप ख़राब हो जाता है.इसलिए उदयपुर में भ्रमण पर आये लोग अक्सर यहाँ खाने पीने की मशहूर चीज़ों के बारे में भी जानना चाहते हैं.

तो आइये आप को बताते है “झीलों की नगरी उदयपुर के प्रसिद्ध प्रतिष्ठान के बारे में, अगर इनका स्वाद नहीं चखा तो क्या चखा..

उदयपुर में फेमस “प्रिंस फलूदा”

कुल्फी,फलूदा के चाहने वालों के लिए ये जगह खास है.1975 में दूध और केसर कुल्फी,और फलुदा के साथ शुरू होने वाली इस दुकान में आज अच्छी क्वॉलिटी की कई फ्लेवर वाली कुल्फी,जूस,शेक,और ख़ास फलुदा मिलता हैं.यहां की कुल्फी,फलूदा अपने फ्रेश टेस्ट के लिए जानी जाती है. खास बात यह है कि ये किफायती भी है.

उदयपुर के सुखाड़िया सर्किल में कुल्फी-फलूदे का एक ठिकाना दूर-दूर तक मशहूर है. बड़े-से लाल कपड़े में लिपटे मटके से कुल्फियां निकाल-निकाल कर फलूदा और सिरप डाल कर सुरेंद्र साहू और दीपक जी लोगो को धड़ाधड़  ठंडी-ठंडी, कूल-कूल कुल्फी-फलूदा का मजा चखा रहे है .यह दुकान इतनी मशहूर है कि यहां हर पल कुल्फी-फलूदा.खाने वालो की भिड़ रहती है यहाँ आकर आप रॉयल फलुदा विद आइसक्रीम ,चॉकलेट टॉप, स्पेशल रबड़ी फलूदा ,केसर मटका कुल्फी, कोल्ड कॉफी ,फलूदा, आइसक्रीम, शेक के शौक़ीन अपना शौक पूरा कर सकते हैं.गिलास में सर्व रबड़ी-फलूदा भी है, लेकिन कुल्फी-फलूदा से ही इसकी पहचान है.

उदयपुर की मशहूर फालूदा-कुल्फी की दुकान, “प्रिंस फलूदा” के मालिक सुरेंद्र साहू और दीपक से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि ये फालूदा-कुल्फी की दुकान सन् 1975 में शुरू की गई थी.यहां दिनभर की 400-500 कुल्फियां बिक जाती हैं. रबड़ी कुल्फी, मटका कुल्फी, स्पेशल रबड़ी फालूदा और चॉकलेट कुल्फी,रबड़ी गोटा,मिल्क शेक और लस्सी लोग ज्यादा पसंद करते हैं.

इनकी फालूदा- कुल्फी की शोहरत दूर-दूर तक है. कई दशकों का अनुभव इनकी कुल्फी में साफ नजर आता है. कुछ खास तरह की कुल्फियों ने यहां अपना रंग जमा रखा है.समय के साथ जैसे-जैसे व्यापार बढ़ता गया, वैसे-वैसे आइसक्रीम-फालूदा ने भी अपने रंग बदले और समय को देखते हुए इसमें किस्में जुड़ती गईं.लेकिन कवालिटी को लेकर उन्होंने कभी कोई समझौता नहीं किया. दूध से लेकर फलों तक सभी चीजों को जांचने-परखने के बाद ही उनका इस्तेमाल किया जाता है.

कुल्फी का जो टेस्ट पहले था, वही आज भी बरकरार है.वे बताते हैं कि आइसक्रीम-फालूदा बनाने का तरीका आज भी उन्होंने पुराने स्टाइल का ही रखा है.बारह महीने यह सिलसिला चलता रहता है.

. साफ़-सुथरी इस दूकान पर सुबहे से ही अलग-अलग किस्म की कुल्फी-फालूदा,शेक बनने का सिलसिला शुरु हो जाते है. जिसका सिलसिला रात तक ऐसे ही बरक़रार रहता है. आपकी राजस्थान की शान “झीलों की नगरी” उदयपुर की यात्रा तब तक अधूरी है. जब तक आप यहाँ की कुल्फी-फालूदा का आनंद नही ले लेते.

उदयपुर में फेमस “प्रिंस फलूदा”:- सुखाड़िया सर्किल (9829729866)

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