November 24, 2024

बिजयनगर:( अनिल सेन) महावीर भवन बिजयनगर में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए ओजस्वी वक्ता, संवर प्रेरक, व्याख्यान वाचस्पति संघनायक श्री प्रियदर्शन मुनि जी म.सा. ने फरमाया कि परिणाम अच्छा चाहते हो तो अपनी प्रकृति को अच्छा बनाने का प्रयास करो।

एक किसान को अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए उपजाऊ समतल भूमि, अच्छा बीज, खाद और पानी की आवश्यकता होती है इसी के साथ-साथ समय-समय पर देखभाल और प्रकृति का सहयोग नितान्त आवश्यक होता है। एक व्यापारी को अच्छा व्यापार चलाने के लिए अच्छा और प्रचुर मात्रा मे माल का स्टॉक चाहिए और ग्राहको के साथ मधुर व्यवहार भी जरूरी होता है।

एक विद्यार्थी को परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए मन लगाकर पूर्ण मेहनत और पुरुषार्थ की आवश्यकता रहती है। उसी प्रकार परमात्मा की वाणी संकेत करती है कि अच्छे परिणाम के लिए पुण्यवानी को बढ़ाना आवश्यक होता है। अपनी प्रकृति को कड़वी या मीठी बनाना भी व्यक्ति के हाथ में ही है। मैथी की प्रकृति कडवाहट की होती है, जबकि गन्ने की प्रकृति मीठी होती है। हमे अपनी प्रकृति को किसके समान बनाना है हमे यह विचार करना है। क्योंकि हमारी प्रकृति को अगर सबसे ज्यादा अगर कोई जानता है तो वो हम स्वयं ही है।

आज का विज्ञान आने वाली आपदा की पूर्व सूचना को प्राप्त करने में सक्षम है कि अमुक दिन अमुक समय मे यह घटना घटने वाली है। इस प्रकार लाखों व्यक्तियों की होने वाली जन हानि से भी वह हमको बचा सकता है।

एक ध्यान साधक भी ध्यान के माध्यम से अपने अंदर में उठने वाले विकारों, वासनाओ को जानकर उनसे बचने का प्रयास प्रारंभ कर लेता है।

जिस प्रकार एक गाडी चलाने वाला ड्राइवर स्पीड ब्रेकर और साईन बोर्ड आदि को देखकर अपनी गाडी को कुशलता पूर्वक संचालित करता है उसी प्रकार परमात्मा की वाणी रूपी संकेतो संदेशो को स्वीकार कर हम अपनी जीवन रूपी गाड़ी को कुशलता पूर्वक संचालित कर सकेंगे।
इसके लिए हमे अपनी कटुता, कषाय की प्रवृतियों, राग-द्वेष की प्रवृतियों को छोड़ना पड़ेगा और हमारी प्रकृति को अत्यन्त सरल, सहज और शुद्ध बनाये का प्रयास करना पड़ेगा।
अगर इस प्रकार का प्रयास और पुरुषार्थ हमारा रह पाया तो परिणाम को हमे सुधारने की जरूरत नहीं रहेगी, परिणाम तो अपने आप सुधर जायेगा।

इसी मंगलभावना और शुभकामना के साथ कि सबकी प्रकृति सुधरे, सबके परिणाम सुधरे, सबको अच्छी स्थिति, अच्छी परिस्थिति और अच्छी व्यवस्थाएं प्राप्त हो ।सब जीव अपने कल्याण को प्राप्त करे ।