कभी कभी हलकी फुलकी घबराहट सबको होती है.लेकिन अगर यही घबराहट दिनचर्या में बाधा डालती है तो इसको डॉक्टर द्वारा डायग्नोसिस की जरुरत है.शोधकर्ताओं का कहना है कि घबराहट और तनाव जैसी हल्की मानसिक बीमारी वाले लोगों की जल्दी मौत हो सकती है.
यदि आप अपने काम से बोर हो रहे हैं? पहले की तरह खुद को अपने काम से जोड़कर नहीं देख पा रहे हैं? जिस जुनून के साथ आप पहले काम करते थे, अब वह आपमें झुंझलाहट का कारण बनता जा रहा है? तो इसका अर्थ है कि आप जॉब स्ट्रेस का शिकार हो रहे हैं.
स्ट्रेस या तनाव कोई ऐसी बीमारी नहीं है जिसका इलाज ना हो सके लेकिन ज़रूरत है समय रहते इसे पहचानने की और इससे बचाव के उपाय ढूंढने की. लाइफस्टाइल में थोड़ा सा बदलाव लाकर और उचित उपचार से इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि हल्के तनाव के मामलों के बारे में यह निष्कर्ष चिंता पैदा करता है. हर चार में से एक व्यक्ति इससे प्रभावित माना जाता है.
ऐसे रखें स्ट्रेस को दूर
अगर कोई बात घबराहट का कारण है तो आपने ध्यान उससे बदलिए. कोई और चीज करने से ध्यान बदलने में सहायता मिल सकती है. सभी का स्ट्रेस से डील करने का अपना खास तरीका होता है. कोई कुछ समय बाद खुद ही ठीक होजाता है, तो कोई काउंसलर की मदद से… किसी के पास परिवार का सहारा होता है, तो किसी के पास दोस्तों का… कोशिश की जानी चाहिए कि घर या ऑफिस का स्ट्रेस गहरे अवसाद की जड न बन जाए. अपनी दिनचर्या में जरा सा बदलाव करके आप स्ट्रेस को हमेशा अपनी जिंदगी से दूर रख सकते हैं.
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