November 24, 2024
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एक-एक कर अपनी ही धरती से उखड़ते दुश्मन के पैर उसे न भागने दे रहे थे और न ही टिकने दे रहे थे। पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) की जमीन पर वर्ष 1971 में हुए युद्ध में पाकिस्तानी सेना का हाल कुछ ऐसा ही था। जेसोर छावनी से शुरू हुआ दुश्मन के किलों के ध्वस्तीकरण का सिलसिला हर दिन दुश्मन की गर्दन पर शिकंजा कस रहा था। भूरी तिस्ता नदी के पास खानसामा दुश्मन का ऐसा ही किला था जो भारतीय सेना को आगे बढ़ने से रोकने के लिए तैयार किया गया था। पाक सेना के 48 पंजाब बटालियन में 153 सैनिक और 78 रजाकार फील्ड और मीडियम आर्टीलरी, 82 एमएम मोर्टार और भारी मशीनगनों के साथ घात लगाकर बैठे थे। लेकिन इनकी पूरी तैयारी भारतीय सेना की राजपूत रेजिमेंट के 21वीं बटालियन के राजपूतों की हुंकार के सामने कमजोर पड़ गई।

इस मौके पर जयपुर में झोटवाड़ा स्थित, सुल्तान मैरिज गार्डन में 21 राजपूत रेजीमेंट के पूर्व सैनिकों के द्वारा 1971 के युद्ध में 21 राजपूत रेजीमेंट के शहीद हुए जवानों को याद किया गया। शहीद सैनिकों को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई और याद किया गया।

साथ में ही “खानसामा” शहर पर रेजीमेंट ने विजय प्राप्त कि थी उसी के उपलक्ष में 13 दिसंबर को प्रति वर्ष खानसामा विजय दिवस समारोह आयोजित किया जाता है।

समारोह में मुख्य अतिथि कैप्टन मामराज सिंह, कैप्टन सोमदत्त सिंह, कैप्टन जय सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में सिविल डिफेंस के चीफ़ वार्डन राजेश कुमार मीणा उस 1971के युद्ध में शामिल होने वाले रेजीमेंट के वरिष्ठ अधिकारी थे और उन्होंने अपने उस समय युद्ध के अनुभव और बहादुरी के बारे में विचार रखते हुए सभी सदस्यों को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं और यह 21 राजपूत रेजीमेंट परिवार जयपुर निवासियों की तरफ से प्रति वर्ष बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।