November 24, 2024

प्रबोधक संघ ने लगाया मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री पर विधानसभा मे प्रबोधक कैडर की घोर उपेक्षा करने का आरोप

प्रबोधक संघ सरकार के खिलाफ खडा करेगा बड़ा आंदोलन, 13 को होगा विधानसभा घेराव

अलवर-(सुरेश शर्मा) राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा पेश किए गए अपने बजट में राज्य के 25 हजार प्रबोधको की गैर वित्तीय मांगों को पूरा नहीं करने पर प्रबोधको में सरकार के प्रति भारी आक्रोश व्याप्त है जिसको लेकर आगामी 13 मार्च को प्रदेश के सभी 25 हजार प्रबोधक विधानसभा का घेराव करेंगे। बजट से पहले प्रबोधको ने मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी मांग रखते हुए कहा था कि उनकी संविदा कर्मी के समय की सेवाओं को प्रबोधक कैडर में जोड़ा जाए, जब अन्य राज्य कर्मचारियों को पदोन्नति के पांच अवसर दिए जा रहे हैं तो प्रबोधको को भी 5 अवसर देते हुए मुख्यमंत्री अपने बजट में इसकी घोषणा करें, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश मे ओ पी एस स्कीम तो लागू की है लेकिन राज्य के 90% प्रबोधकों को इसका पूरा लाभ नहीं मिलेगा क्योंकि अधिकांश प्रबोधको की सेवाएं पेंशन योग्य 25 वर्ष नही हो रही है ।

2008 में नियमित किए गए प्रबोधक इससे पहले भी करीब 15 से 20 वर्षों की अपनी सेवाएं दे चुके हैं उनकी इस सेवाओं को प्रबोधक सेवा में जोड़ा जाए तब ही प्रदेश के 25 हजार प्रबोधको को पूरी पेंशन का लाभ मिल पाएगा।

प्रबोधक संघ राजस्थान के प्रदेश महामंत्री संजय कौशिक ने बताया की जयपुर स्थित राजस्थान विधानसभा में 1 मार्च को पूर्व शिक्षा मंत्री एवं अजमेर उत्तर से विधायक वासुदेव देवनानी के द्वारा प्रबोधक कैडर की पदोन्नति को स्पष्ट रूप से द्वितीय श्रेणी अध्यापक के समकक्ष वरिष्ठ प्रबोधक पद पर करने की मांग उठाई गई थी साथ ही जालोर विधायक छगन सिंह राजपुरोहित , भादरा विधायक बलवान सिंह पूनिया एवं कपासन विधायक अर्जुन लाल जीनगर ने प्रबोधक पदोन्नति एवं पदनाम परिवर्तन करने तथा अन्य समस्याओं के समाधान की मांग करते हुए विधानसभा में प्रबोधको का पक्ष रखा था लेकिन शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने इन सभी विधायकों की मांगों का जवाब देते हुए कहा कि प्रबोधक को पदोन्नति देकर वरिष्ठ प्रबोधक बना दिया गया है तथा इनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आया है यह जवाब गैर जिम्मेदाराना और प्रदेश के 25 हजार प्रबोधको को मायूस करने वाला रहा, शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला को प्रबोधक विषय की पूरी जानकारी नहीं होने जैसा प्रतीत होता है प्रबोधक 2008 में ही तृतीय श्रेणी अध्यापक के समकक्ष नियमित राज्य कर्मचारी के रूप में सेवारत हो गए थे तथा समस्त लाभ परिलाभ राज्य कर्मचारी के रूप में मिल रहे हैं आर्थिक स्थिति का सुधरना वर्तमान सरकार का इसमें किसी भी प्रकार की भूमिका नहीं है यह तो सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है।

25 हजार प्रबोधक 200 विधायको का करेंगे घेराव

संघ के प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन सिंह शेखावत ने बताया की प्रबोधको ने लगातार सरकार से संवाद स्थापित कर लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात सरकार तक पहुंचाई लेकिन इसके परिणाम सुन्य रहे, प्रबोधको के पास केवल संघर्ष का रास्ता बचा है जिसको लेकर 13 मार्च सोमवार को प्रदेश के 25 हजार प्रबोधक विधानसभा एवं प्रदेश के 200 विधायकों के घरों का घेराव करेंगे और अपनी पीड़ा से विधायकों को अवगत कराते हुए मीडिया के माध्यम से जन जागरण भी करेंगे। प्रदेश के 25 हजार प्रबोधको में भारी आक्रोश व्याप्त है।

शेखावत ने मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार पर प्रबोधक कैडर की घोर उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बजट घोषणा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रबोधक कैडर की सभी मांगों को नजरअंदाज करते हुए पूरी तरह से उपेक्षा की है । मुख्यमंत्री गहलोत ने 14 जून 2021 को प्रबोधक से वरिष्ठ प्रबोधक पद पर पदोन्नति हेतु 5 हजार पद सृजित किए थे लेकिन उसकी अनुपालना आज तक नहीं हो पाई है, बल्कि पदोन्नति के स्थान पर पदावनति करने का आरोप भी लगाया है ।

वही बजट घोषणा में अनुबंध आधारित सेवाओं को राजकीय सेवा में जोड़ने की घोषणा की गई लेकिन उसमें 25 हजार प्रबोधको को वंचित रखा गया है शेखावत का कहना था कि प्रदेश में 25 हजार प्रबोधको ने शिक्षाकर्मी, लोक जुंबिश, पैरा टीचर के रूप में लंबे समय तक संविदा आधारित सेवाए दी है जिसको प्रबोधक सेवा में जोड़ा जाना अपेक्षित था जिसे भी गहलौत सरकार ने नजर अंदाज किया गया है ।

वही वेतन विसंगति निवारण हेतु गठित सामंत कमेटी व खेमराज समिति की रिपोर्ट में भी प्रबोधको की मांगों को नजरअंदाज किया गया है वेतन विसंगति के कारण प्रत्येक प्रबोधक को प्रतिमाह 5 से 7 हजार रूपए का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है जिससे प्रदेश के 25 हजार प्रबोधको में भारी आक्रोश व्याप्त है ।

वरिष्ठ प्रबोधक का पदनाम परिवर्तन कर वरिष्ठ अध्यापक एवं प्रबोधक का अध्यापक करने की मांग की गयी है

प्रबोधक संघ ने केंद्र के समान पेंशन योग सेवा को 20 वर्ष करने की मांग की थी जिस पर सरकार ने 28 वर्ष के स्थान पर 25 वर्ष किया है जो कि न्यायोचित नहीं है अतः पेंशन योग सेवा को केंद्र के समान 20 वर्ष किया जावे ।
वही प्रबोधक संघ की सरकार से मांग थी कि 9-18- 27 वर्ष की सेवा पर एसीपी के प्रावधान में संशोधन कर 8-16- 24 वर्ष पर एसीपी दी जावे जिसे भी बजट घोषणा में नजरअंदाज किया गया है ।
वही संघ ने मांग की है कि 1 अप्रैल 22 से पहले रिटायर हुए समस्त प्रबोधक एवं राज्य कर्मचारियों को पूर्ण पेंशन का लाभ दिया जाए उनके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव किया जाना न्यायोचित नहीं है ।

जबकि मुख्यमंत्री गहलोत ने 2004 के बाद नियुक्त समस्त प्रबोधक एवं राज्य कर्मचारियों को पुरानी पेंशन सेवा का लाभ देना सुनिश्चित किया था जिसका लाभ सेवा निवृत्त हो चुके प्रबोधक एवं कर्मचारियों को नही मिल पा रहा है।

सरकार हमेशा से प्रबोधको के साथ करती आ रही है सौतेला व्यवहार

महामंत्री कौशिक ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रबोधक कैडर के साथ शिक्षा विभाग में लगातार सौतेला व्यवहार होता रहा है शाला दर्पण पोर्टल पर प्रबोधक को सबसे नीचे दर्शा कर एवं चुनाव ड्यूटी में भी जूनियर शिक्षक से सीनियर प्रबोधक को पीओ 3 व 4 लगाकर उनके साथ भेदभाव किया जाता है सभी प्रकार की प्रतिनियुक्तियों यथा मॉडल स्कूल, मेवात बालिका विद्यालय, विवेकानंद मॉडल स्कूल,समग्र शिक्षा, महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों, कस्तूरबा हास्टल एवं जनजाति छात्रावासों से वंचित करके भेदभाव किया जा रहा है जो कि न्यायोचित नहीं है ।

कौशिक ने कहा कि सरकार यदि संघ से तत्काल वार्ता कर उक्त मांगों का सकारात्मक हल नहीं निकालती है तो संघ अपनी मांगों के समर्थन मे विधानसभा पर 13 मार्च सोमवार को 1 दिन का धरना प्रदर्शन एवं विधानसभा तथा विधायकों का घेराव करेगा और मांगे नही माने जाने पर संघ शिक्षा संकुल पर अनिश्चितकालीन धरने के लिए मजबूर होगा।