मेले में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, मंदिर परिसर में हुई विशेष सजावट
श्रद्धालुओं ने धोक लगाकर मांगी मन्नतें, कढ़ी बाजरे की प्रसादी का उठाया लुफ्त
कोटपुतली:(मनोज पंडित/संजय जोशी)
नारेहडा-पावटा मार्ग से करीब 02 किलोमीटर पश्चिम दिशा में पहाडिय़ों के बीच स्थित ग्राम पुरुषोत्तमपुरा के प्राचीन भगवान श्री जगन्नाथ का शनिवार को विशाल मेला एवं भंडारा आयोजित हुआ। मेले में लाखों श्रद्धालुओं ने भगवान श्री जगन्नाथ के प्रसाद चढ़ाकर धोक लगाई व मन्नतें मांगी। इस मौके पर मंदिर परिसर को विशेष रूप से सजाया गया। मेले में लगी स्टालों पर महिला पुरुषों और बच्चों ने जरूरतमंद सामान की खरीदारी की। सुबह 9 बजे कढ़ी बाजरे की प्रसादी का सबसे पहले भगवान श्री जगन्नाथ की प्रतिमा को भोग लगाया गया। इसके बाद प्रसादी दिन भर मेले में आने वाले भक्तों को वितरित की गई।
पुजारी बजरंग लाल शर्मा ने बताया कि जिन भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। वे मेले वाली रात को मशाल जलाकर भगवान जगन्नाथ के चरणों में हाजरी लगाते हैं। इन मसालों को जलाने में 01 क्विंटल से ज्यादा सरसों का तेल का उपयोग होता है। इस दिन यहाँ पर आने वाले हजारों भक्तों की आस्था भगवान जगन्नाथ के प्रति श्रद्धा और विश्वास को दर्शाती है। शाम 06 बजे भगवान जगन्नाथ की महाआरती उतारी गई। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।
मेले वाली रात को सत्संग का आयोजन किया गया। जिसमें दूरदराज से आये प्रख्यात भजन गायकों ने भगवान जगन्नाथ की महिमा का गुणगान किया। इस मौके पर जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़, भाजपा नेता मुकेश गोयल, पूर्व संसदीय सचिव रामस्वरूप कसाना, वरिष्ठ भाजपा नेता शंकर लाल कसाना, पूर्व प्रधान विक्रम सिंह तंवर, भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष एड. हीरालाल रावत, पूर्व जिला मंत्री यादराम जांगल, पूर्व चैयरमैन एड. महेन्द्र सैनी, पूर्व सरपंच जयराम गुर्जर, भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश मंत्री विनोद सिंह तंवर, शशि मित्तल, बालकृष्ण सैनी, इंजी. विक्रम कसाना, कमल पूतली, गोपाल मोरीजावाला, टिंकु सिंह पाथरेड़ी, राजेश जांगल, सतीश सैनी, जितेन्द्र सिंह शेखावत, प्रदीप बंसल, राजकुमार गर्ग समेत बड़ी संख्या में अतिथियों ने भी शिरकत की।
धाम का इतिहास : – इस धाम के पीछे केशवदास नाम के एक शिष्य की अटूट आस्था से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी है। बताया जाता है कि गांव में हजारों वर्ष पहले केशवदास नाम का एक भक्त हर वर्ष उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी स्थित जगन्नाथ धाम के दर्शन करने पैदल जाया करता था। उसको जगन्नाथपुरी जाकर आने में करीब छह माह लगते थे। वक्त बीतने के साथ ही भक्त केशवदास वृद्ध हो गया।
एक रोज केशवदास रास्ते में थक कर बैठ गया। तभी भगवान जगन्नाथ ने भक्त की लंबी तपस्या से खुश होकर दर्शन दिए और कहा कि भक्त तेरे गांव के नजदीक पुरुषोत्तमपुरा गांव में एक अखेबड़ नाम का पर्वत है। इस पर्वत से एक पत्थर की शिला टूटकर नीचे आएगी। जिसे मेरा स्वरूप मानकर पूजा करना। तभी से हर साल इस गांव में पौष माह कृष्ण पक्ष की नवमी को भगवान जगन्नाथ के वार्षिकोत्सव पर मेला भरता आ रहा है। मेले की खास बात यह है मेले वाले दिन उड़ीसा के भगवान जगन्नाथ को लगाए जाने वाला भोग की बजाए यहां भोग लगता हैं।
उड़ीसा में बंद रहते हैं पट :- खास बात यह कि जिस दिन यहां मेला भरता है उस दिन उड़ीसा में स्थित जगन्नाथ धाम के पट बंद रहते है। गांव के लोगों ने बताया कि जो भी भक्तजन सच्चे मन से इस धाम पर मन्नते मांगते है उनकी मन्नते अवश्य पूरी होती है। तभी से हर साल इस गांव मे पौष माह कृष्ण पक्ष की नवमी को विशाल मेला भरता है।
ग्रामीणों ने बताया कि इस मेले में कोलकत्ता, मुम्बई, दिल्ली, पंजाब सहित अनेक प्रदेशों के भक्तजन आते है। विदेशों से भक्त भगवान जगन्नाथ के लिए डॉलर से बनी हुई माला भेजते हैं। सुबह चार बजे भगवान जगन्नाथ की आरती उतारी जाती है। इस धाम से जुड़े केशव दास के वंशज व पुजारी परिवार तभी से इस मंदिर मे पूजा पाठ करते आ रहे है।
मनोकामना पूर्ण पर भक्त जलाते हैं मसाले :- ग्रामीण बजरंग लाल मित्तल, सरपंच विनोद सौभन, महेश योगी, महावीर सिंह, लक्ष्मण सिंह, हीरालाल गुर्जर, रोहताश गुर्जर, कैलाश दर्जी, सवाई सिंह, कृष्ण कुमार, महावीर गुर्जर, महेंद्र सिंह, अलकेश मीणा, कप्तान सिंह आदि ने बताया कि जिन भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। वे मेले वाली रात को मशाल जलाकर भगवान जगन्नाथ के चरणों में हाजिरी लगाते हैं। इन मसालों को जलाने में 01 क्विंटल से ज्यादा सरसों का तेल का उपयोग होता है। इस दिन यहाँ पर आने वाले हजारों भक्तों की आस्था भगवान जगन्नाथ के प्रति श्रद्धा और विश्वास को दर्शाती है।
श्रद्धालुओं ने पाई प्रसादी :- भगवान जगन्नाथ के वार्षिकोत्सव की तैयारियां वैसे तो 15 दिन पहले से ही शुरू हो जाती है। लेकिन भगवान जगन्नाथ की प्रसादी एक रोज पहले से बनना शुरू हो जाती है।
जिसमे 50 क्विंटल बाजरा, 5 हजार लीटर कढ़ी, 2 क्विंटल मूली, 2 क्विंटल टमाटर, 70 किलो पालक को मिलाकर 80 क्विंटल की प्रसादी तैयार की जाती है। प्रसादी का सबसे पहले भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को भोग लगाने के बाद भक्तों को वितरण किया जाता है।