November 24, 2024
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बिजयनगर-(अनिल सेन) श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन नानक श्रावक समिति बिजयनगर की ओर से 12 नवम्बर को हर्ष पैलेस मे लगभग पांच हजार श्रावक श्राविकाओं की आम सभा आयोजित की गई। आयोजित आम सभा में रणजीतसिंह कुमठ,पदमचंद खाबिया ,ज्ञानचंद सिंघवी, गुमान सिंह कर्नावट, कमलचन्द खटोड़ ,लक्ष्मीचंद बडोला,श्रीमती प्रेम जैन ,पुखराज मेहता, हस्तीमल कोठारी,दिलीप मेहता सहित जैन श्रावक श्राविकाओं की मोजूदगी में निम्नानुसार निर्णय सर्वसम्मति से लिये गये।श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन नानक श्रावक समिति महामंत्री गौतमचंद विनायक्या ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि1. श्री सुदर्शनलाल जी महाराज को आचार्य पद एवं साधु के पद से मुक्त कर प्रात्र संघ से निष्कासित किया गया।2. संघ ने आचार्य पद की चादर अपने पास सुरक्षित रखते हुए श्री प्रियदर्शन मुनि जी महाराज को संघनायक एवं गुरुणी कमलप्रभा जी को साध्वी प्रमुखा के पद पर आरूढ़ किया। 3. जो संत सती श्री सुदर्शन जी के साथ है वे संघ नायक श्री प्रियदर्शन मुनि जी की नेश्राय में माना चाहें उन्हें सात दिन का अवसर दिया गया एवं साथ ही निर्धारित समाचारी का पालन करने पर ही संघ नायकजी के सान्निध्य में रखने की शर्त रखी गई। उपरोक्त सभी निर्णय लगभग पांच हजार श्रावक श्राविकाओं की आम सभा में सर्वसम्मति से लिये गये।*आचार्य श्री सुदर्शन लाल जी म.सा के भाव अनुसार*भगवान महावीर से लेकर आज तक के इतिहास में श्रावको ने किसी भी साधु को या आचार्य को निष्कासित नहीं किया। आगम में कहीं भी श्रावको को साधु साध्वियों की निष्कासन संबंधी व्यवस्था में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है निष्कासन मात्र आचार्य एवं उपाध्याय का ही अधिकार है। उसके अतिरिक्त कोई भी नहीं कर सकता। कितने ही साधु साध्वी संघ से निष्कासित हुए हैं साधु पद से नहीं। इन व्यवस्थाओं और आगमिक विधान को देखते हुए जो श्रावकों के अधिकार क्षेत्र में नहीं है उसको कितनी ही भीड़ अनअधिकार कार्य को नहीं कर सकती भगवान महावीर के संविधान के विपरीत कोई भी कार्य हो चाहे किसी के भी द्वारा किया गया है कितने भी लोगों के द्वारा किया गया हो अनैतिक है ,अनाचार है, संविधान को खंडित करने का प्रयास है। इसे संपूर्ण जिनशासन अथवा कोई भी संप्रदाय स्वीकार नहीं कर सकती। पूज्य गुरुदेव श्री सोहनलाल जी महाराज सा ने मुझे संयम प्रदान किया है उन्होंने ही मुझे आचार्य पद प्रदान किया है गुरुदेव के द्वारा प्रदत संयम को एवं आचार्य पद को छिनने का अधिकार किसी को नहीं है आज आवश्यकता है प्रभु महावीर के आगम विरुद्ध व्यवस्था को रोकने की एवं संविधान को बचाने की। यदि नानक संप्रदाय का संपूर्ण चतुर्विद् संघ विशेष रुप से सभी साधु साध्वी मुझे सर्वसम्मति से पद छोड़ने की कहते तो मैं यह पद सहर्ष छोड़ देता और यह व्यवस्था वैधानिक होती।

तहलका डॉट न्यूज