November 24, 2024
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ग्राम पूतली के 65 वर्षिय किसान ने अपनी पुत्री की जान पर खतरा देखकर दी अपनी किडनी

चरितार्थ किया बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ का नारा

कोटपूतली:(संजय कुमार जोशी)

कहते है धरती पर माता-पिता अपनी संतान के लिए साक्षात भगवान का रूप होते है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में माता-पिता को ईश्वर के समकक्ष ही दर्जा दिया गया है। आम तौर पर भारतीय समाज में एक पिता अपनी पुत्री का कन्यादान कर उसके ऋण से उऋण हो जाता है।

परन्तु इससे भी आगे बढकऱ निकटवर्ती ग्राम पूतली निवासी एक 65 वर्षिय बुजुर्ग किसान ने अपनी पुत्री के जीवन पर आये खतरे को देखकर अपनी स्वयं की जान की बाजी लगाते हुए उसके प्राणों की रक्षा कर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का एक आदर्श व ज्वलंत उदाहरण समाज के समक्ष प्रस्तुत किया है।

ग्राम पूतली निवासी नत्थुराम गुर्जर ने बताया कि उनकी बहन माया देवी (40) का विवाह अलवर जिले की थानागाजी तहसील निवासी गाँव हींसला निवासीछुट्टन लाल गुर्जर के साथ हुआ था। कुछ प्राकृतिक कारणों के चलते ग्रामीण परिवेश के खेतीहर परिवार में रहने वाली उनकी बहन माया की दोनों किडनियां खराब हो जाने से उनके जीवन पर खतरा मंडरा रहा था। जिस पर चिकित्सकों ने किडनी ट्रांसप्लांट की बात कही।

परिवार में केवल उनके 65 वर्षिय बुजुर्ग पिता चंदगीराम की किडनी ही अपनी पुत्री से मिलान खा रही थी। लेकिन पिता की ज्यादा उम्र देखते हुए चिकित्सक किडनी ट्रांसप्लांट से कतरा रहे थे। परन्तु चंदगीराम ने एक कदम आगे बढ़ते हुए अपने जीवन की परवाह ना कर अपनी एक किडनी देकर बेटी के जीवन को बचा लिया। जयपुर के महात्मा गाँधी अस्पताल में नैफ्रोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. सूरज गोदारा के नेतृत्व में चिकित्सकों की टीम ने लगभग 8 घण्टे तक चले ऑपरेशन में सफलतापूर्वक किडनी का ट्रांसप्लांट किया। ऑपरेशन के बाद दोनों पिता-पुत्री की स्थिति सामान्य है। उनके भाई नत्थुराम ने बताया कि बहन की जान बच जाने से पूरा परिवार राहत महसुस कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि विगत दिनों ग्राम पूतली में ही एक महिला सुनेहरी देवी पत्नी हीरालाल गुर्जर ने भी अपनी बेटी के जीवन पर आये खतरे को देखते हुए उसे अपनी एक किडनी देकर उसकी जान बचाई थी।

तहलका डॉट न्यूज