कहते है कि भगवान ने मनुष्य और पशु पक्षियो को एक – दूसरे के लिए बनाया है जिस प्रकार पेड पौधे प्रकृति की धरोहर है उसी प्रकार पशु – पक्षी भी पर्यावरण के अभिन्न अंग है। मनुष्य अपनी पीड़ा व्यक्त कर सकता है परन्तु ये बेजुबान अपनी पीड़ा व्यक्त नही कर सकते है इनकी पीडा को हरने के लिए ही भगवान ने मनुष्य को बनाया है। आज विश्व पशु चिकित्सा दिवस के अवसर हम बात करते है कि जहाँ मनुष्य इस भाग दौड भरी जिन्दगी मे बहुत व्यस्त है । उस स्थिति मे इन बेजुबान जीवो का तो कोई रखवाला नही है।
अब हम बात करते पशु चिकित्सा से जुडे पावटा तहसील के भांकरी निवासी एल एस ए गोविन्द भारद्वाज की जिनका केवल एक ही लक्ष्य है कि जहाँ भी कोई बेजुबान पशु पक्षी घायल या बीमार अवस्था मे हो वही रात हो या दिन दूर हो या पास तुरन्त पहुंचकर उसका उपचार करते है भारद्वाज की 8 अक्टूबर 2013 को राजकीय प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय पावटा मे नियुक्ति हुई अब तक के अपने सेवा काल मे 19001 गाय , 1551नील गाय , 1431 मोर, एक जरख , 103 बन्दर , 36 लंगूर दो गीदड , दो लोमडी दो बिज्जू एक बाज एवं पॉच सौ से अधिक छोटे परिन्दो का उपचार कर उनके जीवन को बचा चुके है। भारद्वाज की कारोना काल लोकडाऊन हो या कर्फ्यु हो या फिर जन अनुशासन पखवाडा इनकी सेवाये लगातार जारी रही है।कोरोना काल मे जहाँ लोग घरो मे कैद थे तो वही भारद्वाज घायल बेजुबान पशु पक्षियो की सेवा मे समर्पित थे ।
इस कार्य मे परिवार का पूरा सहयोग रहा है । इस कार्य मे डॉ गौरीशंकर शर्मा छात्र मोहित शर्मा एवं दिव्या शर्मा ने भी दिन रात बेजुबान जीवो बचाने मे पूरा योगदान दिया है। डॉ शर्मा ने बताया कि बेजुबान जीवो का जीवन बचाना हमारा परम धर्म है। भगवान की कृपा से मनुष्य का जन्म केवल परोपकार एवं जीवो पर दया के लिए हुआ है। इन बेजुबान पशु पक्षियो को बचाकर मनुष्य अपना जीवन धन्य कर लेता है।
भारद्वाज की सेवाये दूर तक भी जारी : भारद्वाज कोटपूतली पावटा शाहपुरा विराटनगर थानागाजी नारायणपुर बानसूर बहरोड तहसील के गांवो मे दिन रात अपनी सेवाये देते है ।5875 गोवंशो के टूटे हुए पैरो के प्लास्टर कर चलने योग्य बनाया : आपसी संघर्ष मे एवं सडक हादसे बेजुबान जीवो के टूटे हुए पैरो के प्लास्टर कर उन्हे चलने योग्य बनाया ।बेजुबान पशु पक्षियो के उपचार मे आने वाली समस्त दवाई या अन्य
सभी खर्चे स्वयं उठाते हैः – भारद्वाज कितनी भी दूरी क्यों न वही बेजुबान पशु पक्षियो के उपचार करे पहुंचते है एवं उपचार मे आने वाली सभी दवाईयो व अन्य खर्चे स्वयं ही उठाते है । बेजुबान जीवो के बच्चो को दूध पिलाकर पालन पोषण किया :- पशु चिकित्सक और बीमार पशु का पिता -पुत्र के जैसा सम्बन्ध होता है। भारद्वाज ने पशु चिकित्सा के क्षेत्र मे कार्य करने के लिए अलावा जिन बेजुबान पशुओ के बच्चो की मॉ मर जाती है या जंगल मे छोड़कर चली जाती है उनका निप्पल एवम बोतल से दूध पिलाकर पालन पोषण किया है। अब तक 131 बेजुबान पशुओ के बच्चो को दूध पिलाकर पाला है। इनमे नील गाय , बन्दर एवं गाय बच्चे सम्मिलित है। जो गोवंश बीमार या घायल होने पर चारा पानी ग्रहण नही सकते उन्हे भारद्वाज स्वयं अपने हाथो से खाना खिलाते एवं पानी पिलाते है।
भारद्वाज ने बताया मेरी माँ का देहान्त बचपन मे हो गया था मुझे जन्म देने वाली माॅ की सेवा करने का तो सौभाग्य तो नही मिला क्यो नही अपनी गौमाता की सेवा करके मॉ की सेवा करने का आनंद प्राप्त कर सकू । मैने मेरे जीवन गौमाता को ही अपनी प्रत्यक्ष मॉ के रूप मे देखा है गौमाता की सेवा से बडा कोई पुण्य नही है। इस कार्य मे डॉ गौरीशंकर शर्मा , मोहित शर्मा एवं दिव्या शर्मा का पूरा योगदान रहा है ।
इनका ये मिशन आजीवन जारी रहेगा । राष्ट्रीय पक्षी मोर की जान बचाने पर मोहित शर्मा एवं दिव्या शर्मा को 26 जनवरी वर्ष 2020 को जिला कलेक्टर जयपुर जिला स्तर पर , वन विभाग द्वारा राज्य स्तर पर एवं मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी पावटा द्वारा सम्मानित किया गया ।