May 14, 2024

जयपुर:(जे.पी शर्मा)सुखी परिवार के लक्षणों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए प्रख्यात चिंतक, विचारक, अध्यात्मवेत्ता और राममंदिर निर्माण ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविन्ददेव गिरी महाराज ने आज माहेश्वरी समाज जयपुर एवं विश्व हिन्दू परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित समारोह में कहा कि आधुनिक तकनीक ने सभी संसाधनों को हमारे निजी कक्ष में लाकर रख दिया लेकिन हम अपने परिवार जनों से उतने ही दूर होते चले गए।

उन्होंने परिवार में आपसी संवाद के महत्व पर विस्तार से चर्चा की जिसे खचाखच भरे सभागार में श्रोताओं ने मंत्रमुग्ध हो कर लगभग दो घंटे तक सुना। उन्होंने सुखी पारिवारिक जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण दो घटकों पर बल देते हुए कहा कि पवित्रता और प्रसन्नता जिस परिवार में होगी वहां कभी अशांति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक के युग में हम भौतिकता से इतने अधिक प्रभावित हो गए हैं कि वस्तुओं से प्रेम और मनुष्य का उपयोग करने लगे हैं। जबकि होना चाहिए इससे बिल्कुल उलट।

उनके उद्बोधन में भारतीय संस्कृति, ज्ञान और दर्शन के अत्यंत महत्वपूर्ण लक्षणों को केंद्र में रखकर उन्होंने बहुत से महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से चर्चा की जिनके संदेशों को इस प्रकार सारगर्भित किया जा सकता है।
पूज्य स्वामीजी ने सुखी परिवार के लिये छः सरल सूत्र बताये।

¨ शिशुओं को स्नेह ¨ बालको को संस्कार ¨ किशोरों का संरक्षण ¨युवाओं को स्वतंत्रता ¨ प्रौढ़ जनों का सम्मान ¨ वृद्ध जनों की सेवा
-सुख बांटने से सुख बढता है और दुःख बांटने से दुख घटता है।
-बच्चों को चाहे महंगे-गिफ्ट दें ना दें पर उन्हें अपना समय अवश्य दिजिए। उन्होंने सभी पीढ़ियों में आपसी संवाद पर सर्वाधिक बल दिया। आज एक कमरे, एक घर में रहने वाले एक दूसरे की और देखते तक नहीं।
-घर से चाहे किसी कारणवश दूर रहना पड़े पर घर-परिवार से हृदय से जुड़े रहें।
-स्थान की दूरी हो सकती है पर हृदय की दूरी ना हो।
-आज परिवार टूट रहे हैं, तलाक बढ़ रहे हैं, ओल्ड ऐज होम बढ़ रहे हैं बड़ी दुःखद स्थिति है।
-घर मे सोफासेट है, डिनर सेट है, टी.वी सेट है पर व्यक्ति स्वयं अपसेट है।

  • इसके लिये हमें अपने ग्रन्थों की ओर, सन्तों की और चलना होगा।
    -आदर्श राज्य राम राज्य जैसा होना चाहिए और आदर्श परिवार में गोकुल जैसा वातावरण होना चाहिए। जहां सुख-दुख में सब शामिल होते हैं।
    -विदेशों में बच्चे अपने माँ -बाप से मिलने आते ही नहीं ।
    -पुराने लोगों में आत्मीयता थी। घर कि बेटी सारे गाँव की बेटी और जँवाई सारे गाँव का जँवाई होता था।
    -हमारे यहाँ परिवार की अवधारणा बड़ी दृढ है तभी यहाँ गंगा को गंगा मैया, गौ को गौमाता कहा जाता है।
    -आज परिवारों में दुख का कारण संकीर्णता है, मैं और अहंकार का विस्तार है।
    -मैं की बजाए हम की भावना को महत्व देना होगा।
    -पहले हम दूसरों को समझने का प्रयास करें ना कि ये सोचें कि दूसरा हमें समझें।
    -हम किसी से अपेक्षा रखने से पहले ये सोचें कि कोई हमसे भी अपेक्षा रखता है पहले उसे पूरा करें।
    -जीविका कमाने की विद्या सीखने से पहले जीवन जीने की विद्या सीखनी होगी।
    माहेश्वरी पब्लिक स्कूल जवाहर नगर में कार्यक्रम का आयोजन हुआ।

इस कार्यक्रम में माहेश्वरी समाज के प्रमुख पदाध्ािकारी एवं विश्व हिन्दू परिषद् केंद्रीय आमंत्रित सदस्य श्री दामोदरलाल जी मोदी, केंद्रीय ट्रस्टी अनिल जी गोठवाल, क्षेत्रीय मंत्री श्री सुरेश उपाध्यक्ष, प्रांत उपाध्यक्ष श्री सुभद्र पापड़ीवाल, प्रांत मंत्री श्री अशोक डिडवानियां एवं विश्व हिन्दू परिषद् जयपुर के कार्यकर्ता उपस्थित रहे। मातृशक्ति की अच्छी उपस्थिति रही। कार्यक्रम संयोजक संदीप जी झंवर, सह संयोजक विवेक लड्ढा, मार्गदर्शन ज्योति माहेश्वरी जी, स्वागत भाषण प्रदीप जी बाहेती अध्यक्ष माहेश्वरी समाज, कार्यक्रम संचालन सीमा जी राठी ने किया तथा ध्ान्यवाद दिनेश जी मालपानी ने किया।

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