May 9, 2024

जयपुर- स्वामी श्री बालमुकुंद आचार्य जी महाराज हाथोज धाम ने सभी भक्तों को उत्पन्ना एकादशी की बधाई देते हुए इसके महत्व पर प्रकाश डाला उन्होंने बताया कि हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व माना गया है। एक वर्ष में 24 एकादशियां आती है, लेकिन जब अधिक माह आता है तो कुल मिलाकर इनकी संख्या 26 हो जाती है। हर साल मार्गशीर्ष माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा की जाती है।

मान्यतानुसार मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी के पहले दिन यानी दशमी तिथि से ही इस व्रत की तैयारी की जाती है। इस दिन चावल और मसूर दाल का सेवन नहीं किया जाता है। इस दिन सिर्फ दिन के वक्त ही सात्विक आहार करने की मान्यता है। अत्यंत निष्ठापूर्वक इस एकादशी का व्रत करने से कई व्रत-उपवास से पुण्य से अधिक गुना पुण्य मिलता है और इस प्रकार उत्पन्ना एकादशी का व्रत करता है, उसे हजारों यज्ञों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। वैसे तो हर माह दो एकादशी आती है और सभी एकादशीयों का महत्व अलग होता है। लेकिन मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को बेहद पवित्र माना गया है। इसे ही उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। यह भी मान्यता है कि इस दिन माता एकादशी ने राक्षस मुर का वध किया था। कहा जाता है कि एकादशी देवी का जन्म भगवान श्री हरि विष्णु से हुआ था। मार्गशीर्ष मास में कृष्ण पक्ष एकादशी को एकादशी माता प्रकट हुई इस कारण इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा।

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