कोटपूतली- कहावत है कि अगर किसी लक्ष्य के लिए पूरी शिद्दत के साथ प्रयास करो तो सारी कायनात मिलकर भी उसे सफलता हाँसिल करने से नहीं रोक सकती। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है कोटपूतली के दृष्टि बाधित मुकेश अग्रवाल ने, जिन्होंने पहले ना केवल प्रकृति का बल्कि बाद में नियति का भी कुठाराघात सहते हुए अपने कभी ना हार मानने वाले जज्बे व बुलंद हौंसले के साथ संघर्ष करते हुए आरएएस चयनित होकर जीत का परचम लहराया है। दृष्टिहीन मुकेश की सफलता की रोशनी से आज पूरा कोटपूतली जगमगा रहा है। जिन्होंने अपने बेजोड़ परिश्रम, लगन व दृढ़ संकल्प के साथ हर अड़चन को पार करते हुए सफलता हाँसिल की है। उनकी सफलता पर पार्षद प्रत्याशी नवल खण्डेलवाल, धर्मपाल सोनी, सुभाष भल्ला, सुरेश मोठुकावाला व रमेश मुन्ना समेत अन्य ने माल्र्यापण कर मुकेश का अभिनन्दन किया।
पहले आँखों की रोशनी फिर सड़क हादसे में सगे भाई को खोया :- कस्बे के दिल्ली दरवाजा स्थित वार्ड नं. 23 के निवासी मुकेश पुत्र रामनिवास गोयल जब केवल 10-12 वर्ष के थे तभी उनकी आँखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगी थी। कक्षा 12 वीं उत्तीर्ण करते-करते आँखों की ज्योति लगभग पूरी तरह जाती रही। प्रदेश की राजधानी जयपुर से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक जगह-जगह उपचार का भी कोई लाभ नहीं मिला। लेकिन पढ़ाई के क्षेत्र में मुकेश ने हिम्मत नहीं हारी। वर्ष 1992 की 10 वीं बोर्ड परीक्षा में उन्होंने गणित विषय में गोल्ड मैडल प्राप्त किया था। उसके बाद एम. कॉम व बी.एड. की पढ़ाई कर मुकेश ने तमाम कठिनाईयों के बावजुद बच्चों को कोचिंग देने का कार्य शुरू किया। वे क्षेत्र में अंग्रेजी, गणित, विज्ञान व वाणिज्य विषय के बेहद काबिल अध्यापक बनकर उभरे। बड़ी संख्या में विधार्थी उनके पास ट्युशन लेने के लिए आने लगे। जिसके बाद उन्होंने स्वयं का शिक्षण संस्थान भी खोला। इस कार्य में उनके छोटे भाई दीपक भी मुकेश का भरपुर सहयोग करते थे लेकिन नियति को कुछ ओर ही मंजुर था। वर्ष 2015 में होली पर्व के ठीक दूसरे दिन 8 मार्च को हुई एक सड़क दुर्घटना में छोटे भाई दीपक का निधन हो गया। जो मुकेश सहित उनके परिवार के साथ होनी का बड़ा कुठाराघात था, लेकिन इससे उभरते हुए मुकेश ने जीवन के साथ अपना संघर्ष जारी रखा। परिवार पर आई विपत्ति में परिजनों ने भी उनका भरपुर सहयोग किया।
नेत्रहीन कोटे मेें 5 वीं रैंक :- मुकेश वर्ष 2017 में प्रथम श्रेणी व्याख्याता के लिए चयनित होकर कस्बा स्थित राजकीय सरदार उच्च माध्यमिक विधालय में बतौर वाणिज्य विषय के व्याख्याता के रूप में कार्यरत है। यही नहीं वर्ष 2018 में उन्होंने नेट परीक्षाओं में भी क्वालीफाई किया है। वर्तमान में वे सहायक आचार्य की तैयारी में जुटे हुए है। निरन्तर संघर्ष को अपनी आदत बना चुके मुकेश ने वर्ष 2018 में आरएएस के लिए आवेदन किया था। मंगलवार शाम जब उसका परिणाम आया तो परिजनों समेत कस्बावासी खुशी से झुम उठे। उन्होंने सामान्य वर्ग में 1833 वीं, जबकि नेत्रहीन वर्ग में प्रदेश भर में 5 वीं रैंक प्रथम प्रयास में ही बिना किसी कोचिंग के हाँसिल की है। उन्होंने बताया कि अध्ययन के लिए उन्होंने मोबाईल फोन पर रिकॉर्डिंग व युट्युब आदि का सहारा किया। वे इसी के सहारे बच्चों को कोचिंग भी देते है।
दिव्यांगों के लिए कार्य करना पहली प्राथमिकता :- कोटपूतली समाचार से बातचीत में उन्होंने बताया कि सरकारी योजनायें आमजन व जरूरतमंद दिव्यांग वर्ग तक पहुँचाना ही उनकी पहली प्राथमिकता होगी। उनका कहना था कि बतौर दृष्टिहीन कई बार महसुस हुआ कि शारीरिक रूप से दिव्यांग लोगों को मजबुर, बेसहारा व बेकार समझा जाता है। दैनिक जीवन में उनकी समस्यायें बढ़ जाती है। रोजमर्रा के कार्यो के लिए भी दूसरों पर निरन्तर रहना पड़ता है। लेकिन परमात्मा प्रत्येक व्यक्ति का एक अलग गुण से नवाजता है। मुकेश अध्ययन के प्रति अपने समर्पण को अपना यही गुण मानते है। अपनी तैयारियों पर प्रकाश डालते हुए मुकेश ने कहा कि जीवन में कठिनाईयों से घबराये बिना लक्ष्य के प्रति समर्पित होकर निरन्तर प्रयास करने चाहिये।