May 19, 2024

जयपुर:-हाथोज धाम के स्वामी श्री बालमुकुंद आचार्य जी महाराज ने गंगा दशमी की देश व प्रदेश वासियों को बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं देकर मां गंगा से कोरोना रूपी वायरस को समाप्त करने की प्रार्थना की है।

उन्होंने बताया कि गंगा दशहरा हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। ज्येष्ठ शुक्ला दशमी को दशहरा कहते हैं। इसमें स्नान दान रूपात्मक व्रत होता है। स्कंद पुराण में लिखा है कि ज्येष्ठ शुक्ला दशमी संवत्सर मुख्य मानी गई है। इसमें स्नान और दान का विशेष महत्व है। किसी भी नदी पर जाकर अर्ध्य (पूजादिक) एवं तिलो दक (तीर्थ प्राप्ति निमीतक तर्पण) अवश्य करें।

स्वामी श्री बालमुकुंद आचार्य जी ने बताया कि भविष्य पुराण में लिखा हुआ है कि जो मनुष्य इस दशहरा के दिन गंगा के पानी में खड़ा होकर 10 बार गंगा स्तोत्र को पड़ता है चाहे वह दरिद्र हो, चाहे असमर्थ हो मैं भी प्रत्यनपूर्वक गंगा की पूजा कर फल को प्राप्त करता है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि दशहरा नाम का गंगा स्तोत्र उसके पढ़ने से सब अवयवों से सुंदर तीन नेत्रों वाली चतुर्भुजी जिसके की चारों भुज रत्न कुंभ, श्वेत कमल, वरद और अभय से सुशोभित है। सफेद वस्त्र पहने हुए हैं।

मुक्ता मणियों से विभूषित है सौम्य है, अयुक्त चंद्रमाओं की प्रभा के सम वाली है। वर को देने वाली है। दिव्य गंध लगाए हुए हैं। त्रिलोकी से पूजित है, शब्दों से अधिष्ठत है, दिव्य रत्नों से विभूषित है, दिव्य ही माल्य ओर अनुलेपन है, ऐसी गंगा के पानी में ध्यान करके भक्ति पूर्व मंत्र से अर्चना करें। ऊं नमो भगवती हिली हिली मिली मिली गंगे मां पावय पावर स्वाहा यह गंगा जी का मंत्र है।

इसका अर्थ है कि हे भगवती गंगे मुझे बार-बार मिल पवित्र कर पवित्र कर इससे गंगा जी के लिए पंचोपचार और पुष्पांजलि समर्पण करें। इस प्रकार गंगा ध्यान और पूजन करके गंगा के पानी में खड़े होकर ऊं इत्यादि से संकल्प करें। इस प्रकार मां गंगा की पूजा करने से मनुष्य सब कामों को पाता है और मर कर ब्रह्म में लय होता है। वह मनुष्य दिव्य विमान में बैठकर जाता है।

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