September 19, 2024

चैत्र शुक्ल पक्ष के नवरात्रों का आरंभ वर्ष 6 अप्रैल 2019 के दिन से होगा. इसी दिन से हिंदु नववर्ष का आरंभ भी होता है. चैत्र मास के नवरात्र को ‘वार्षिक नवरात्र’ कहा जाता है. नौ दिनों तक चलने नवरात्र पर्व में माँ दुर्गा के नौ रूपों क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री देवी की पूजा का विधान है. नवरात्र के इन प्रमुख नौ दिनों में लोग नियमित रूप से पूजा पाठ और व्रत का पालन करते हैं.

दुर्गा पूजा के नौ दिन तक देवी दुर्गा का पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ  इत्यादि धार्मिक किर्या पौराणिक कथाओं में शक्ति की अराधना का महत्व व्यक्त किया गया है. इसी आधार पर आज भी माँ दुर्गा जी की पूजा संपूर्ण भारत वर्ष में बहुत हर्षोउल्लास के साथ की जाती है.

नवरात्र के पहले दिन घट स्‍थापना अथवा कलश स्‍थापना के बाद नवरात्र का शुभारंभ किया जाता है.

कलश स्‍थापना की विधि 

कलश स्‍थापना के लिए प्रतिपदा के दिन शुभ मुहूर्त से पहले उठकर प्रात: स्‍नान कर लें. एक रात पहले ही पूजा की सारी सामग्री एकत्र करके सोएं. स्‍नान के पश्‍चात आसन पर लाल रंग का एक वस्‍त्र बिछा लें.वस्‍त्र पर श्रीगणेश जी का स्‍मरण करते हुए थोड़े से चावल रखें.अब मिट्टी की बेदी बनाकर उस जौ बो दें और फिर उस पर जल से भरा मिट्टी या तांबे का कलश स्‍थापित करें. कलश पर रोली से स्‍वास्तिक या फिर ऊं बनाएं. कलश के मुख पर रक्षा सूत्र भी बांधा जाना चाहिए. कलश में कभी खाली जल नहीं साथ में सुपारी और सिक्‍का भी डालना चाहिए.

कलश के मुख को ढक्‍कन से ढककर इसे चावल से भर देना चाहिए. अब एक नारियल लेकर उस माता की चुनरी लपेटें और उसे रक्षासूत्र से बांध दें. इस नारियल को कलश के ढक्‍कन के ऊपर खड़ा करके रख दें.सभी देवी-देवताओं का ध्‍यान करते हुए अंत में दीप जलाकर कलश की पूजा करें. पूजा के उपरांत फूल और मिठाइयां चढ़ाकर भोग लगाएं.कलश की पूजा के बाद दुर्गा सप्‍तशती का पाठ भी करना अनिवार्य है