October 31, 2024
IMG-20241031-WA0002

अजमेर ( मुकेश वैष्णव ) दीपावली के पांच-दिवसीय इस त्योहार पर धरती की महकती मिट्टी से बने एवं कुम्हार जाति के मेहनत से बनाये दीपक से दीपावली मनाये। आज के आधुनिक युग मे इनसे इनका पुश्तैनी धंधा बन्द होने के कागार पर है । लेकिन अयोध्या में रामलला की स्थापना के पश्चात वापस इनके दिन लोटे है । आधुनिक होते इस त्योहार में घरों में लाईटों की झालरियो के साथ भी घरों में लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने हेतु इन्हीं दीपकों से त्योहार मनाया जाता है।

वहीं ग्रामीण अंचलों में आज भी ग्रामीण महिलाएं कुम्हार जाति के घर पर जाकर धान , गेहूं के बदले दीपक लेकर आती है । ग्रामीण लक्ष्मी पुजन के दिन अपने अपने खेत , देवी देवताओं के मन्दिर, अपने लोक देवता भेरु जी , माताजी, झुंझार जी आदि स्थानों पर जाकर यही मिट्टी के दीपक जलाकर घर परिवार में सुख समृद्धि की कामना करते हैं। एवं सांय महालक्ष्मी का पूजन कर दिवाली मनाते हैं।

वहीं देरांठू में आज भी अपने पुश्तैनी कार्य को मिठ्ठू लाल कुम्हार, शौकिन कुम्हार, सांवरलाल कुम्हार, पप्पू कुम्हार , भवंरलाल कुम्हार, छोटु कुम्हार मटकियां व दीपावली पर दीपक बनाने के साथ चाय के शिकौरे बनाकर अपने पुश्तैनी धंधे को बनाये रखने में योगदान दे रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *