November 24, 2024
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अजमेर (मुकेश वैष्णव ) जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान महाविद्यालय अजमेर में मंगलवार को विवेकानंद केन्द्र के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हनुमंत राव एवं राजस्थान प्रदेश की प्रांत संगठक सुश्री शीतल जोशी का व्याख्यान हुआ। व्याख्यान का विषय भारतीय ज्ञान दर्शन में चिकित्सकीय मूल्य की अवधारणा था, उपस्थित चिकित्सा समुदाय एवं छात्रों को संबोधित करते हुए हनुमंत राव ने कहा कि भारतीय ज्ञान दर्शन हजारों हजार साल पहले से चिकित्सक को अन्य सामान्य मनुष्य से भिन्न मानता है और चाहता है कि चिकित्सक का कर्तव्य यांत्रिक ना होकर मरीज से आत्मिक संबंध बनाते हुए अपने कार्य को संपादित करना होना चाहिए ।साधारण यांत्रिक कार्य मरीज को एक मशीन मानते हैं , जबकि मरीज में जीवन है , उसके मन में भावनाएं हैं, संवेदनाएं हैं , उनका भी चिकित्सक को ध्यान रखना चाहिए।

श्रीमद् भागवत गीता को उद्गृत करते हुए उन्होंने कहा कि चिकित्सा का धर्म मरीज की पूरी बात सुनकर उसे तदनुसार उपचार देना होता है ।भगवत गीता के पहले अध्याय में भगवान श्री कृष्ण ने सिर्फ अर्जुन को सुना था और बाद के अध्याय में उसे कुछ समझने की कोशिश की तथा उसके ना समझना पर अपना ज्ञान एवं अपने स्वरूप का परिचय दिया। इसी प्रकार चिकित्सक को मरीज को सुनकर उसकी परेशानियों को समझ कर आवश्यकता अनुसार उपचार देना चाहिए । योग वशिष्ठ को उद्धरित करते हुए हनुमंत राव के अनुसार चिकित्सा एक अति विशिष्ट व्यक्ति है और उसे सामान्य मानसिक संवेदनाओं को नियंत्रित करने की आवश्यकता है। जिससे वह मरीज से अलग तरह का संबंध स्थापित कर सही उपचार दे पाएगा । एक सवाल के उत्तर में उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से चिकित्सक की भी संवेदनाएं मानसिक परिस्थितियों आदि होती है । लेकिन उसे इन पर नियंत्रण करते हुए अपना कर्तव्य निभाना चाहिए।

साथ ही उन्होंने कहा कि प्रशासन अथवा समाज अथवा सरकार का यह दायित्व है कि चिकित्सक से सिर्फ चिकित्सकीय कार्य करवाया जाए तथा अन्य कार्यों के लिए इस प्रकार के सहायक नियुक्त हो जो कि मरीज को उसकी छोटी-मोटी समस्याओं तथा आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें।
यदि मरीज हर चीज के लिए चिकित्सक से ही संपर्क करेगा तो वह निश्चित रूप से अत्यधिक दबाव में रहेगा तथा अपने वंचित कर्म में अपनी पूर्ण योग्यता का प्रदर्शन नहीं कर पाएगा ।

संगोष्ठी में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ अनिल समरिया ने आगंतुकों का हार्दिक स्वागत करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद की शिक्षाएं आज के समाज में ज्यादा प्रासंगिक है । युवाओं को उनकी शिक्षाओं तथा उनके बताए मार्ग को अपनाना चाहिए , ताकि आज के समाज में व्याप्त कुरीतियों एवं कुंठाओं का समापन किया जा सके । अस्पताल अधीक्षक डॉ अरविंद खरे ने आगंतुकों का परिचय दिया तथा समारोह संचालन अतिरिक्त प्रधानाचार्य डॉ श्याम भूतडा द्वारा किया गया।