जयपुर की गलियां खाना खजाना के लिए प्रसिध्द हैं. इन्हीं गलियों में पिछले 55 सालों से “कलकत्ती चाट भंडार” के नाम से प्रसिद्ध पंडित रामस्वरूप द्वारा चलाया जाता यह दुकान अपने दही बड़ों के अनूठे स्वाद के लिए जाना जाता हैं.
शहर के लोग इस दुकान पर तैयार होने वाली मिठाई के मुदीद हो चुके हैं। चाट की शुद्धता के कारण लोगों का विश्वास जीतने वाले पंडित रामस्वरूप जी के बेटे मुकेश शर्मा ने भी इस काम कर बखूभी संभाल रखा है।
बचपन में आपने भी ये जिद जरूर की होगी और दही बड़ों का स्वाद भी चखा होगा। ऐसी जिद के साथ जयपुर में एक ठेले पर भीड़ जुटती है, नाम है कलकत्ती चाट भंडार। जिस VVIP इलाके में यह ठेला लगता है, वहां CM से लेकर मंत्री-विधायकों का काफिला गुजरता है। कार की विंडो खोलकर बड़े से बड़ा VIP भी रिस्पेक्ट के साथ ऑर्डर देता है- ‘मुकेश पंडित जी एक प्लेट हमारी भी लगा देना।’ नेता से लेकर अभिनेता तक पंडित जी के हाथ से बने दही बड़े के जबरा फैन हैं।
राजस्थान की सत्ता जहां से ऑपरेट होती है, उसी शासन सचिवालय के पोस्ट ऑफिस ही पंडित रामस्वरूप का ठेला चलता है। हर वक्त ग्राहकों से घिरा रहता है। एक वक्त था जब रामस्वरूप सिर पर टोकरी लादकर राज मंदिर सिनेमा से लेकर पार्क और स्कूलों के बाहर दही बड़ा बेचा करते थे। देखते ही देखते जुबां पर स्वाद ऐसा चढ़ा कि लोग उन्हें ढूंढते हुए आते। तब उन्होंने 1971 में सचिवालय के बाहर ही ठेला लगाकर अपना ठिकाना जमाया। नाम रखा कलकत्ती चाट भंडार।
उनके ठेले पर चाट के दो ही आइटम मिलते हैं। दही बड़ा, पनीर चीला । दोनों का स्वाद इतना लाजवाब है कि सुबह 10 बजे दुकान खुलने के साथ ही लोगों की भीड़ लगनी शुरू हो जाती है। यह सिलसिला रात 8 बजे के बाद ही थमता है। दही बड़ों और चीलों की खासियत यही है कि इसमें चाट का टेस्ट मिलता है, वो भी राजस्थानी मसालों के साथ।
सुबह से लेकर रात तक खड़े रहते हैं लोग
जयपुर में राजस्थान हाईकोर्ट के पास पोस्ट ऑफिस पर मौजूद इस दुकान पर लोग दही बड़ों के लिए दूर-दूर से सुबह से लेकर रात तक खड़े रहते हैं, इन दही बड़ों में डाले जाने वाले आइटम भी अद्वितीय होते हैं.दही बड़े का साइज़ इतना बड़ा होता है कि अगर आप एक ही दही बड़े खाले तो आपका पेट भर जायेगा. वहां लोगों को अक्सर एक घंटे लाइन में खड़े होना पड़ता है.
दही बड़ा हो या चीला इनमें डलने वाले मसाले बाजार से नहीं, बल्कि घर में पिसे होते हैं। इन्हें स्वादिष्ट बनाने के लिए 65 तरह के मसाले डाले जाते हैं। दही बड़े और चीले के साथ खास पंचमेल डाला जाता है, जो इसे दूसरी चाट से अलग बनाता है। ये हैं, दही बड़े में डलने वाली घर पर तैयार दही, पिंड खजूर की मीठी चटनी, पुदीने की चटनी, लाल मिर्ची से तैयार लहसुन चटनी और देसी चने की सब्जी।
3 बातों में अलग हैं रामस्वरूप के दही बड़े
मुकेश जी बताते हैं कि वो जो दही बड़े बेचते हैं वो तीन बातों में बाकियों से अलग हैं।
पहला : राजस्थान में जो दही बड़े बनते हैं, वह मूंग की दाल से फीके तैयार होते हैं। लेकिन कोलकाता के दही बड़ों में मूंग के दाल के साथ कई तरह के मसाले पीसे जाते हैं। इनमें अदरक, हरी मिर्च, लौंग, इलायची, सौंफ, धनिया आदि मसाले मिलाए जाते हैं, जिससे इन बड़ों का रंग ब्राउन हो जाता है।
दूसरा : फर्क है साइज का आम बड़े साइज में छोटा और गोल होते हैं। जबकि उनके तैयार बड़ों का साइज काफी बड़ा और चपटा होता है।
तीसरा : बनाने के तरीका काफी अलग है। आम दही बड़ों पर केवल दही, इमली की चटनी और हरी चटनी मिलाई जाती है। लेकिन वे दही बड़ों में पंचामृत (दही, खजूर की चटनी, हरी चटनी, लहसुन की चटनी और चने की सब्जी) डालते हैं।
इसी तरह कलकत्ती चाट का चीला भी ऑर्डीनरी साइज से काफी बड़ा और मेकिंग में डिफरेंट होता है। ये मल्टीग्रेन के साथ-साथ 65 तरह के मसालों के साथ तैयार होता है।
मुकेश जी के इस चाट को खाने के लोग बेंगलुरु, सूरत से भी लोग आते हैं। इसके अलावा नेता और अभिनेता मेरी चाट के फैन हैं।
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