- राजगढ़ भैरव धाम पर रविवारीय मेले में उमड़े श्रद्धालु
अजमेर (मुकेश वैष्णव ) अजमेर जिले के सुप्रसिद्ध सर्वधर्म धार्मिक स्थल श्री मसाणिया भैरव धाम राजगढ़ पर रविवार को श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ पड़ी। धाम के उपासक चम्पालाल महाराज ने सर्वप्रथम मंदिर परिसर में बाबा भैरव व माँ कालिका के साथ चक्की वाले बाबा तथा सर्वधर्म मनोकामनापूर्ण स्तम्भ की पूजा अर्चना की।
धाम के प्रवक्ता अविनाश सेन ने बताया कि जिला बहरोड में स्थित खेड़की से बी.डी.एम. ट्रान्सपोर्ट के तत्वावधान व गजेन्द्र यादव के नेतृत्व में 35 सदस्यों का दल शनिवार को रवाना हुआ जो कि लगभग 21 घण्टे में रिले-रेस की तरह दौड करते हुए रविवार को प्रातः 9 बजे बहरोड़ से राजगढ़ धाम लगभग 380 किलोमीटर की दूरी तय कर पहुँचा। डाक ध्वजा का भैरव भक्त मण्डल द्वारा सराधना चौराहे पर भव्य स्वागत किया गया। जिसके पश्चात् डाक ध्वजा चक्की वाले बाबा के मंदिर पर पहुंची जहाँ पर धाम के मुख्य उपासक चम्पालाल महाराज ने अपने परिवार सहित हाथ हिलाकर डाक ध्वजा का अभिवादन किया।
डाक ध्वजा तेजाजी चौक से रेगरान मौहल्ला, सदर बाजार होती हुई मुख्य भैरव मंदिर पहुंची जहां डाक ध्वजा का जगह-जगह पर पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। डाक ध्वजा का मंदिर प्रांगण में पहुंचने के पश्चात् धाम पर उपस्थित श्रद्धालुओं के जनसैलाब के बीच बाबा भैरव व मां कालिका के जयघोष के साथ पुष्प वर्षा कर ध्वजा को महाराज के सान्निध्य में बाबा भैरव के श्रीचरणों में चढ़ाई गई। उसके बाद महाराज के साथ डाक ध्वजा के जत्थे ने सर्वधर्म मनोकामनापूर्ण स्तम्भ की परिक्रमा कर बाबा भैरव, मां कालिका के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। मंदिर कमेटी की ओर से रमेश सेन व राहुल सेन के द्वारा डाक ध्वजा जत्थे का माला व दुपट्टा पहनाकर सम्मान किया गया। जत्थे की ओर से साफा व माला पहनाकर चम्पालाल महाराज का आभार व्यक्त किया गया कि महाराज की प्रेरणा से आज हम सभी नशा मुक्त होकर एक नए जीवन की नई दिशा में अग्रसर हुए हैं जिसके लिए हम सभी महाराज को कोटि-कोटि प्रणाम करते हैं।
भैरव बाबा ने बदली तकदीर
गजेन्द्र यादव ने बताया कि मैं राजगढ मसाणिया भैरव धाम प्रथम बार वर्ष 2016 में किसी के साथ आया था, उस वक्त मैं पूरी तरह से नशे की एवं बुरी आदतों से लिप्त था परन्तु जब राजगढ़ धाम पर आकर देखा और चम्पालाल महाराज की प्रेरणा पाकर मैंने नशे व बुरी आदतों को उसी दिन त्याग दिया जिसके बाद भैरव बाबा ने मेरी तकदीर बदल दी। तब से मैं स्वयं तो आता ही हूँ और अपने साथ कई दीन दुखियों को लाता हूँ जिनकी आस्था व श्रद्वा के अनुरूप भैरव बाबा उनके कश्टों का निवारण करते हैं। मेरे जीवन में आए परिवर्तन व महाराज की प्रेरणा के फलस्वरूप मेरे मन में राजगढ़ धाम तक पैदल चलकर बाबा के श्रीचरणों में ध्वजा चढ़ाने का संकल्प लिया।
इसी क्रम में मेरे साथ अन्य भैरव भक्त भी जुड़े और हम सभी ने मिलकर डाकध्वजा रिले रैस के माध्यम से दौड़ते हुए राजगढ़ भैरव धाम आए। मेरे मन में विचार है कि यह डाक ध्वजा प्रतिवर्श हम बाबा भैरव व मां कालिका के श्रीचरणों में अर्पण करते रहेंगे।
रविवारीय मेले के कार्यक्रम की व्यवस्था सुचारू रूप से सम्भालने में धाम पर व्यवस्थापक ओमप्रकाश सेन, अविनाश सेन, राहुल सेन, रमेश सेन, कैलाश चन्द, तारा चन्द ,कपिल,सेन, सागर सेन, मुकेश सेन, यश, मिलन, युवराज, वैभव, भव्य, मिताली, वंशिका, बुलबुल, विष्णुकान्ता, पुष्पा, ड़िम्पल, खुशबू, रेखा, मनीष, दीपक, प्रकाश रांका, पदमचंद जैन, कन्हैयालाल, देवानन्द, शंकर नाथ, राजकुमार, अमिताभ, ओमप्रकाश, नवलकिशोर, पुनित, सुरेश, धर्मेन्द्र, कैलाश सेन, विष्णु सेन, बी.एल.गोदारा, राजू चावड़ा, उज्जवल राठौड़, कमलेश सुनारीवाल आदि का योगदान महत्वपूर्ण रहा।