November 24, 2024

बिजयनगर:(अनिल सेन)
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जैन स्थानक भवन विजय नगर में आयोजित धर्मसभा में श्रद्धालुजनों को संबोधित करते हुए ओजस्वी वक्ता संवर प्रेरक व्याख्यान वाचस्पति संघनायक श्री प्रियदर्शन मुनि जी म.सा. ने फरमाया कि साधना में आगे बढ़ने के इच्छुक हर साधक का जीवन गौतम स्वामी की तरह हो जाना चाहिए क्योंकि विनय और समर्पण की जब भी बात आती है तो पहला नाम गौतम स्वामी जी का आता है गौतम स्वामी भी भगवान के पास गए और गौशालक भी भगवान के पास गया मगर गौशालक भगवान के बाहरी प्रभाव से आकर्षित हुआ,परिणाम यह आया कि वह तेजोलेश्या तक ही सीमित रह गया, जो चरम लक्ष्य भगवान के सानिध्य में रहकर प्राप्त कर सकता था वह नहीं कर पाया, अनंत संसार को घटाने की बजाय अनंत संसार को बढ़ा लिया ।

इसी के विपरीत गौतम स्वामी भगवान के पास अभिमान को लेकर गए मगर जब भगवान ने उनके मन की शंका का समाधान किया तो भगवान के आंतरिक गुण व उनकी वीतरागता से अत्यंत प्रभावित हुए, अपने आपको प्रभु के चरणों में समर्पित कर दिया तन-मन जीवन में इतना जबरदस्त समर्पण कि परिणाम यह आया कि प्रभु के साथ-साथ उन्होंने भी अपने चरम लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त कर लिया,यानी वह भी अपने आराध्य की भक्ति करते करते आराध्य के सामान बन गए ।

आज घर परिवार समाज में जो भी संघर्ष या टकराव है उसके पीछे मूल कारण है कि आज हर व्यक्ति सामने वाले को झुकाना चाहता है कोई भी व्यक्ति झुकना नहीं चाहता,मगर याद रखें की महानता झुकने में है, किसी भी महान व्यक्ति के जीवन को उठा कर देख लीजिएगा कि वह उतना ही ज्यादा विनयवान होगा, और जिसमें अभिमान होगा वह कभी महान नहीं हो सकता है ।

प्राज्ञ गुरु की उदारता एवं महानता बताते हुए गुरुदेव श्री ने कहा कि गुरु प्राज्ञ जैसी उदारता हर संघ समाज परिवार एवं परंपराओं में आ जाए तो समाज परिवार में कभी टकराव एवं संघर्ष नहीं हो सकता ।

यदि हम भी महान साधक गौतम स्वामी जी के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने अभिमान को दूर करके जीवन में विनयगुण को अपनाने का प्रयास करेंगे तो हमारा यह मानव जीवन प्राप्त करना सार्थक हो सकेगा ॥