November 24, 2024
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कहते है कि भगवान ने मनुष्य और पशु पक्षियो को एक – दूसरे के लिए बनाया है जिस प्रकार पेड पौधे प्रकृति की धरोहर है उसी प्रकार पशु – पक्षी भी पर्यावरण के अभिन्न अंग है। वन्य जीवो के आधार पर ही हमारा पर्यावरण रोज सुबह से शांम तक गुजांयमान रहता है। वन्य जीवो एवं प्रकृति के सोन्दर्य को देखने मनुष्य कर हजारो किलोमीटर चला जाता है । मनुष्य अपनी पीड़ा व्यक्त कर सकता है परन्तु ये बेजुबान अपनी पीड़ा व्यक्त नही कर सकते है इनकी पीडा के लिए ही भगवान ने मनुष्य को बनाया है।

आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर हम बात करते है . जहाँ एक तरफ आये दिन बेजुबान वन्य जीवो के शिकार की घटनाऐ सामने आती है वही पशु चिकित्सा से जुडे पावटा तहसील के भांकरी निवासी एल एस ए गोविन्द भारद्वाज की जिनका केवल एक ही लक्ष्य है कि जहाँ भी कोई बेजुबान पशु पक्षी घायल या बीमार अवस्था मे हो वही रात हो या दिन तुरन्त पहुंचकर उसका उपचार करते है और जब तक वह जीव पूर्ण रूप से ठीक न हो जाता तब तक उसकी पूर्ण देख भाल करते है ।

भारद्वाज ने अब तक के अपने सेवा काल मे 19393 गाय , 1567नील गाय , 1460मोर, एक जरख , 105 बन्दर,36 लंगूर , दो गीदड , दो लोमडी एवं पाँच सौ से अधिक छोटे परिन्दो का उपचार कर उनके जीवन को बचा चुके है। इस कार्य मे भारद्वाज के बडे भाई डॉ गौरीशंकर शर्मा छात्र मोहित शर्मा एवं दिव्या शर्मा ने भी दिन रात बेजुबान जीवो बचाने मे पूरा योगदान दिया है। डॉ शर्मा ने बताया कि बेजुबान जीवो का जीवन बचाना हमारा परम धर्म है। भगवान ने मनुष्य का जन्म केवल परोपकार एवं जीव दया के लिए हुआ है। इन बेजुबान पशु पक्षियो को बचाकर मनुष्य अपना जीवन धन्य कर लेता है। इसके अलावा इनका पूरा परिवार हर वर्ष बरसात के समय मे ज्यादा से ज्यादा छायादार पेड लगाते है। एवं गर्मी मे पक्षियो के लिए परिन्डे लगाते है डॉ शर्मा स्वयं तो पेड लगाते ही है ।साथ ही साथ लोगो को पेड लगाने के लिए प्रेरित करते है एवं कहते है कि पेड लगाने से ही हमारा पर्यावरण बचेगा एवं विलुप्त होती पशु पक्षियो की प्रजातियॉ बचेंगी।

बेजुबान जीवो के बच्चो को दूध पिलाकर पालन पोषण किया :- भारद्वाज ने पशु चिकित्सा के क्षेत्र मे कार्य करने के लिए अलावा जिन बेजुबान पशुओ के बच्चो की मॉ मर जाती है या जंगल मे छोड़कर चली जाती है उन्हे निप्पल एवम बोतल से दूध पिलाकर पालन पोषण किया है। अब तक 129 बेजुबान पशुओ के बच्चो को दूध पिलाकर पाला है। इनमे नील गाय , बन्दर एवं गाय बच्चे सम्मिलित है। भारद्वाज ने बताया कि एक वन्य जीव की जान बचाने से हम एक युग जिन्दा रख सकते है। इस कार्य मे डॉ गौरीशंकर शर्मा , मोहित शर्मा एवं दिव्या शर्मा का पूरा योगदान रहा है । इनका ये मिशन आगे भी हमेशा जारी रहेगा ।

इसके अलावा जो भी पशु पक्षी चारा दाना खाने मे असमर्थ होते है उसे अपने हाथो से खाना खिलाते हैएवं पानी पिलाते है।

भारद्वाज एवं इनका पूरा परिवार दूर हो या नजदीक जहाँ कोई भी पशु पक्षी घायल एवं बीमार हो उसकी सहायता करने पहुँच जाते है। कोटपूतली पावटा शाहपुरा विराटनगर थानागाजी नारायणपुर बानसूर बहरोड तक घायल पशु पक्षियो का उपचार करने पहुंच जाते है । एवं जहाँ जाते वहाँ लोगो को बेजुबान पशु पक्षियो की रक्षा करने एवं अधिक अधिक पेड लगाने के लिए प्रेरित करते ‘ है। इनकी ये मुहीम हम सभी को प्रकृति को सुरक्षित रखने की ओर एक नई दिशा देती है।

मेरी माताजी का स्वर्गवास बचपन मे ही हो गया था मुझे अपनी जन्म देने वाली मॉ की सेवा करने का तो सौभाग्य प्राप्त नही हुआ क्यों नही गौमाता एवं बेजुबान पशु पक्षियो व वन्य जीवो की सेवा करके मॉ की सेवा करने का आनंद प्राप्त कर सकू ।

तहलका डॉट न्यूज