ब्यावर/ मेवाड़ी गेट के अंदर जयकिशन त्रिलोकचंद छत्तानि परिवार, उक्त दुकान में सन 1948 से किरायेदार थे ।
उक्त दुकान को उंन्होने खाली करने का निर्णय लिया और मकान मालिक को बुला कर बिना कुछ लिए ही उक्त दुकान को उसके मालिक पवन कुमार घीसूमल डागा को खाली कब्जा सौंप कर एक मिसाल कायम की ।
उक्त वाकया इस लिए भी महत्वपूर्ण है कि जहा आज के जमाने मे पैसे को महत्व दिया जाता है और मुख्य बाजार की दुकान खाली कराने के लिए लाखों रुपये किरायेदारों को देने पडते हे, लेकिन इसके बावजूद भी उक्त किरायेदार परिवार ने बिना कुछ लिए ही उक्त दुकान को खाली कर उसके मालिक को सौंप दी जो वास्तव में एक मिसाल है ।