जयपुर- पंडित सुरेश मिश्रा के द्वारा हिंदू नव वर्ष के प्रचार प्रसार हेतु 4 अश्व पूजन- अर्चन के बाद मोती डूंगरी गणेश मंदिर से हिंदू धर्म का प्रचार प्रसार करने हेतु छोड़े गए!
यह अश्व सुबह से संध्या तक जयपुर के चारों दिशाओं में घूम कर हिंदू धर्म का प्रचार प्रसार करेंगे!
इस अवसर पर अनेक संत महंत उपस्थित रहे जिनमें प्रमुख रूप से स्वामी श्री बालमुकुंद आचार्य जी महाराज हाथोज धाम, मोती डूंगरी गणेश मंदिर के महंत कैलाश जी दाधीच, महंत सुदर्शनाचार्य जी गलता गद्दी घाट के बालाजी मंदिर, पुरुषोत्तम भारती महंत नारायण मंदिर बड़ी चौपड़ सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे! इस अवसर पर स्वामी श्री बालमुकुंदाचार्य जी महाराज ने कहा कि भारतवर्ष ने विश्व को काल गणना का अद्वितीय सिद्धांत प्रदान किया है!
सृष्टि की संरचना के साथ ही ब्रह्माजी ने काल चक्र का भी निर्धारण कर दिया । ग्रहों और उपग्रहों की गति का निर्धारण कर दिया! चार युगों की परिकल्पना, वर्ष मासों और विभिन्न तिथियों का निर्धारण काल गणना का ही प्रतिफल है!
यह काल गणना वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है!
हमारे देश में नव संवत्सर का प्रारम्भ विक्रम संवत् के आधार पर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से स्वीकार किया जाता है और पाश्चात्य दृष्टि से पहली जनवरी को नव वर्ष का शुभारम्भ होता है । अत: हमें दोनों ही दृष्टि से इस विषय पर विचार करना होगा ।
भारतीय मतानुसार महाराज विक्रमादित्य ने विक्रम संवत का प्रारम्भ किया था । इसकी गणना चन्दन के आधार पर की जाती है । इसी दिन से नवरात्र का प्रारम्भ होता है । इस दिन मंदिरों और घरों में घटस्थापना की जाती हैं जौ बोए जाते हैं और नौ दिन पश्चात् पवित्र नदियों में प्रवाहित कर दिए जाते हैं ।