अजमेर :(गजेंद्र कुमार) जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (जिला एवं सेशन न्यायाधीश, मदन लाल भाटी एवं न्यायिक अधिकारियों एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ मासिक बैठक में पीड़ित प्रतिकर स्कीम 2011 के तहत कुल प्रकरणों में 1775000/-रू की प्रतिकर राशि अपराध से पीड़ित व उनके परिवार हेतु स्वीकृत की गयी।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अजमेर के सचिव, अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश, रामपाल, बताया कि मंगलवार को देश को झकझोर देने वाली दुर्दात घटना पीसांगन थाना क्षेत्र में घटी जिसमें 17 वर्षीय नाबालिग लड़की का बलात्कार कर गला रेत कर हत्या की गयी ।
परिवार को आर्थिक सहायता के मद्देनजर 250000 रू अंतरिम प्रतिकर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की बैठक में स्वीकृत की गयी प्रकरण प्रकाश में आने पर जिला एवं सेशन न्यायाधीश से प्राप्त निर्देश पर सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अजमेर ने तुरंत कार्यवाही कर प्रकरण में परिवार की जानकारी व वांछित दस्तावेजात प्राप्त कर मृतका के माता पिता को आर्थिक सहायता हेतु प्रथम सूचना रिपोर्ट के 24 घंटे के भीतर ही उक्त प्रतिकर राशि स्वीकृति हेतु प्रकरण कमेटी के समक्ष पेश किया व कमेटी द्वारा सहायता राशि स्वीकृत की गयी। उल्लेखनीय है कि एस०ओ० 157 दण्ड प्रक्रिस सहिता 1973 (1974 का केन्द्रीय अधिनियम संख्या 2 की धारा 357 के द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार अपराध के परिणामस्वरूप हानि या क्षति से ग्रस्त हुए और पुनर्वास की अपेक्षा रखने वाले ऐसे पीड़िता और उनके आश्रितों को प्रतिकर के लिए निधिया उपलब्ध कराने के लिए पीड़ित प्रतिकर स्कीम 2011 को लागू किया है जिसमे पीड़ित या उसके आश्रितों को राशि प्रदान की जायेगी। राज्य सरकार प्रतिवर्ष इस स्कीम के लिए प्रथक बजट आवंटित करती है जिसका संचालन राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण निधि सचिव द्वारा किया जाता है।
पीडित प्रतिकर योजना में पात्र होते हैं जिन्हें अपराध के परिणामस्वरूप हानि पहुंची जो कि पीड़ित हो हो और जिनका शारीरिक व मानसिक पुनर्वास किया जाना आवश्यक हो ऐसे पीड़ित इस योजना की धारा 357 की उपधारा के अंतर्गत प्रतिकर की मंजूरी के लिए आवेदन कर सकता है।उक्त के अतिरिक्त जरूरतमन्द लोगों को निःशुल्क विधिक सहायता के तहत अधिवक्ता उपलब्ध करवाएं गये। निःशुल्क विधिक सहायता में कुल 4 प्रकरणों में निःशुल्क विधिक, सहायता प्रदान की गयी।
उक्त विधिक सहायता न्यायिक अभिरक्षा में बंदियों को उपलब्ध करवायी गयी है जिससे बंदियों को अपने प्रकरण में सहज व उपयुक्त पैरवी का अवसर प्राप्त हो सके। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 (यथा संशोधित) की लेकर उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय पर विधिक सहायता प्रदान कराई जा रही है। अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति वर्ग का पात्र व्यक्ति, महिला एवं बालक, ऐसा व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय सीमा 3 लाख रूपये तक हो, विचाराधीन बन्दी प्राकृतिक आपदाग्रस्त व्यक्ति, औद्योगिक कर्मकार, मानव दुर्व्यवहार व बेगारी से पीड़ितों ही जा रही है। बैठक में मध्यस्थता व विधिक जागरूकता समिति के सदस्यों से विषयानुसार विचार विमर्श किया गया।
तहलका डॉट न्यूज