ब्यावर:(गजेंद्र कुमार) धुलण्डी के दूसरे दिन ब्यावर में बड़ी शान के साथ बादशाह की सवारी निकाली गई। इस मौके पर पुलिस एवं प्रशासन ने कानून व शान्ति व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुख्ता इंतजाम किये गए। प्रातः काल से शहर के अजमेरी गेट स्थित मुख्य द्वार से “आओ बादशाह… आओ बादशाह… ” की सुमधुर धुन शुरू हो गई। प्रशासन एवं बादशाह मेला आयोजन समिति तथा जनप्रतिनिधियों की ओर से नागरिकों को बादशाह मेला की शुभकामनाएं देने की अपील का सिलसिला पूरे दिन बना रहा तथा आमजन से मेला में ताजा लाल गुलाल का ही इस्तेमाल करने का अनुरोध करने के साथ ही इसके उल्लंघन पर सख्त कानूनी कार्यवाही की चेतावनी दी गई।
धुलण्डी के दूसरे दिन में शहर स्थित पाली बाजार में मंगल मार्केट के समक्ष जीनगर समाज की ओर से देवर-भाभी के बीच “कोड़ामार होली” को देखने के लिए लोगों का हुजुम उमड़ पड़ा। इसके बाद भैंरूजी के खेजड़ा के समीप से बादशाह मेला आयोजन समिति एवं अग्रवाल समाज पदाधिकारियों की अगुवाई में बादशाह मेला की सवारी निकालने के कार्यक्रम का श्रीगणेश हुआ। पूरे शान एवं शौकत के साथ बादशाह की सवारी पुख्ता पुलिस व्यवस्था एवं सहयोगी कार्यकर्ताओं के बेहतरीन व्यवस्था के मध्य भैरूजी के खेजड़ से एकता सर्कल, अग्रसैन बाजार, महादेवजी की छतरी, कुमावत साइकिल चौराहा, बंशी भवन, अजमेरी गेट, सुभाष सर्कल, प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर, मैन एसबीआई, मुख्य डाकघर होते हुए कोर्ट परिसर स्थित उपखण्ड अधिकारी कार्यालय में पहुंची।
रास्ते में ट्रक पर सवार बादशाह ने अपने दोनों हाथों से जहां मेलार्थियों व नागरिकों को लाल गुलाल रूपी खजाना दिल खोलकर लुटाया वहीं बदले में लोगों ने भी पूरे आनन्द एवं उत्साह के साथ नाचते गाते व झूमते हुए लाल गुलाल की मांग करते हुए इसे लूटा। बादशाह मेला की चली आ रही पुरानी परम्परानुसार बादशाह सवारी के उपखण्ड अधिकारी कार्यालय पहुंचने पर उपखण्ड अधिकारी राहुल जैन ने प्रशासनिक टीमों के सहयोग से बादशाह के साथ लाल गुलाल से क्षमता से होली खेली, अंत में सूर्यास्त पश्चात् बादशाह की सवारी निर्धारित मार्ग अनुसार लौटने के साथ बादशाह मेला सम्पन्न हुआ।
ऐतिहासिक व पर्यटन महत्व के ब्यावर के इस बादशाह मेला दौरान बादशाह की सवारी द्वारा लुटाई जाने वाली गुलाल की चहुंओर फैली लाल ही लाल रंग की अनुपम छटा का दृश्य देखते ही बनता है। ब्यावर के बादशाह मेला में हजारों की तादाद में नागरिक एवं मेलार्थी मौजूदगी बिना किसी भेदभाव के पूरे साम्प्रदायिक सद्भाव के साथ होना रंगोत्सव होली पर्व के उज्ज्वल पहलू एवं विशिष्ट सांस्कृतिक धरोहर की अनूठी झलक के दर्शन होते हैं जो अपने आप में एक मिसाल है।
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