दर्द लिखूं या गीत लिखूं,
वंदेमातरम का राग लिखूं।
भारत माता तुम्ही बताओ,
कैसे तेरे आँचल का रक्त लिखूं।।
पीड़ा के कँटीले तारों से,
जकड़ी है भारत मां की छाती।
स्वीकार नहीं हमें हे माधव,
तेरा घातक निर्मम निर्णय।।
चीते की चाल और बाज सी आंख,
जिसकी कायल थी सारी दुनिया।
एक तीर चला आसमान से,
रक्तिम हुआ धरती का हर कोना।।
तुम शेष नहीं विशेष थे,
तुम अभिमन्यु रूप में वरूण थे।
कांप उठा यह दृश्य देखकर,
बाहुबल निर्जीव बन लेटा धरा पर।।
हृदय मेरा बिलख रहा,
किन शब्दों में करें नमन हम।
श्रद्धांजलि तुमको करती अर्पित,
शीघ्र लौटआओ हे”देवरिया”के लाल।।
प्रार्थना राय
देवरिया उत्तर प्रदेश