जयपुर- 26 नवम्बर 2021, प्रदेश सरकार द्वारा राज्य कर्मियों की अनदेखी, नकारात्मक विचारधारा एवं संवादहीनता के विरोध में अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ द्वारा राज्यव्यापी आंदोलन किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा महासंघ के साथ समय-समय पर हुये समझौतो/सहमतियों को तोडा जा रहा है एवं कर्मचारियों पर आर्थिक हमले किये जा रहे है। सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों का माकूल जवाब देने हेतु राज्य कर्मचारी, बोर्ड, निगम, स्वायत्तषाषी संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारी, पंचायतीराज एवं अस्थायी व्यवस्था के अन्तर्गत सरकारी कार्यालयों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में कार्यरत कर्मचारी लांमबंद हो गये है। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त् महासंघ द्वारा आज होटल गणगौर खासा कोठी में संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से राज्य सरकार को सलाह एवं चेतावनी दी गई कि समय रहते परस्पर संवाद के रास्ते से कर्मचारियों की मांगो का हल निकाला जावें।
संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुये महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष आयुदान सिंह कविया एवं प्रदेश महामंत्री तेजसिंह राठौड ने सरकार पर हठधर्मिता का आरोप लगाते हुये कहा कि महासंघ गांधीवादी तरीके से आंदोलन कर रहा है! परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश में गांधीवाद प्रासंगिक नहीं रहा है। राज्य सरकार विगत वर्षों से कर्मचारियों को मिल रही सुविधाओं को छीनती जा रही है एवं कमेटियाँ गठित कर कर्मचारी वर्ग को निरंतर गुमराह कर रही है!
परन्तु कर्मचारी अब सरकार के भ्रमजाल में फंसने वाला नही है! अपितु सरकार से दो-दो हाथ करने को तैयार है। राज्य कर्मियों की कर्तव्यपरायणता के परिणामस्वरूप ही राज्य सरकार अपनी पीठ थप-थपा रही है! जबकि इसकी पृष्ठभूमि में राज्यकर्मी ही नजर आयेंगे। राज्य कर्मचारियों ने लम्बे संघर्षों के उपरान्त जो परिलब्धियाँ प्राप्त की थी उन्हें वर्तमान सरकार एक-एक कर वापस लेने पर तुली हुयी है! जिसके परिणाम अच्छे नहीं रहेंगे।
महासंघ की संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक महावीर प्रसाद शर्मा ने सरकार को चेतावनी देते हुये कहा कि सरकार कर्मचारी शक्ति को कमतर आंक रही है। आगामी 1 से 3 दिसम्बर 2021 को होने वाले प्रशासन गांवो/शहरों के संग शिविरों के बहिष्कार से यह साबित हो जायेगा कि सरकार कर्मचारियों को नजरअंदाज नहीं कर सकती है।
राज्य कर्मियों ने असहयोग का निर्णय लिया है जिसके कारण आमजन को मिलने वाली सुविधाओं यथा-पट्टा वितरण, राजस्व सम्बन्धी कार्य, कृषि सम्बन्धी कार्य आदि महत्वपूर्ण कार्य रूक जायेंगे। महासंघ कभी भी जनहित के कार्यो को रोकना नहीं चाहता है परन्तु महासंघ को सरकार की संवादहीनता के कारण यह निर्णय लेना पडा है। सरकार में नौकरशाही निरंकुश हो गये है जिनके कारण सरकार कर्मचारी विरोधी फैसले ले रही है। मुख्यमंत्री द्वारा दिनांक 28 मई 2021 को जारी परिपत्र में यह निर्देश प्रदान किये गये है कि शासन सचिव महासंघ व सेवासंघों से वार्ता कर मांगो का निस्तारण करेंगे परन्तु नौकरशाहों ने मुख्यमंत्री के आदेशों को रद्दी की टोकरी में डाल दिया है।
राज्य सरकार अपने वायदे से मुकर गयी है। सरकार के गठन से पूर्व स्वंय मुख्यमंत्री ने यह सार्वजनिक घोषणा की थी कि उनकी सरकार बनी तो कर्मचारियों को उनकी न्यायोचित मांगो के लिये आंदोलन नहीं करना पडेगा परन्तु मुख्यमंत्री सरकार बचाने के उपक्रम में लाखों कर्मचारियों से किये गये वायदों को भूल गये है।
महासंघ द्वारा 15 सूत्री मांग-पत्र सरकार को तीन वर्ष पूर्व प्रस्तुत किया गया था परन्तु आज दिवस तक प्रतिक्रिया शून्य है जिसके कारण प्रदेश के कर्मचारी सरकार के प्रति आक्रोषित है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि प्रदेश के कर्मचारी जागरण का कार्यक्रम चल रहा है एवं आंदोलन को प्रदेशभर में व्यापक समर्थन मिल रहा है! सरकार निम्न मांगो पर तुरन्त विचार कर लागू करेेंः-
- ए.सी.पी. के स्थान पर चयनित वेतनमान पुनः बहाल किया जावें।
- वेतन कटौती का आदेश (30.10.2017) प्रत्याहारित किया जावें।
- केन्द्र के समान वेतन भत्ते स्वीकृत किये जावें।
- नवीन पेंशन योजना समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना लागू की जावें।
- वर्कचार्ज कर्मचारियों को नियमित करने के अनुरूप एक ही आदेश से समस्त संविदा, समेकित वेतन आधारित कार्मिकों को नियमित किया जावें।
- कोरोना से मृत कार्मिकों को 50 लाख की अनुग्रह राशि शीघ्र स्वीकृत की जावें।
महासंघ के आव्हान पर दिनांक 29.11.2021 से समस्त कर्मचारी काली पट्टी बांधकर शिविरों में चेतावनी प्रदर्शन करेंगे एवं दिसम्बर 2021 के प्रथम सप्ताह में 1 से 3 दिसम्बर 2021 तक प्रशासन गांवो/शहरों के संग अभियान का बहिष्कार कर प्रदेश के समस्त उपखण्ड मुख्यालयों पर धरना देंगे।
इसके उपरान्त भी सरकार की नींद नहीं खुली तो कर्मचारी हडताल जैसा निर्णय ले सकेंगे।
प्रशासन गांवों/शहरों के संग अभियान में भाग लेने वाले तमाम विभागों के कर्मचारियों द्वारा शिविरों का बहिष्कार किया जावेगा जिसमें-पटवारी, ग्राम विकास अधिकारी, कृषि पर्यवेक्षक, कानूनगो, महिला बाल विकास, आयुर्वेद, पशु चिकित्साकर्मी, जलदाय कर्मी, नर्सेज आदि प्रमुख संवर्गो द्वारा पूर्ण असहयोग किया जावेगा।
संवाददाता सम्मेलन में महासंघ के पदाधिकारी के.के. गुप्ता, अर्जुन शर्मा, राजेन्द्र नीमिवाल, महावीर सिहाग, बन्नाराम चौधरी, महेन्द्र कुमार तिवारी, नारायण सिंह, प्यारेलाल चौधरी, शमीम कुरैषी, धमेन्द्र फौगाट, मानसिंह आदि नेताओं ने भाग लिया।