दिल्ली जिसे हिंदुस्तान का दिल कहा जाता है। वही दिल्ली देश की राजधानी भी है, और अगर भूगोल की द्रष्टि से भी देखा जाये तो भी आपको लगेगा की सच में दिल्ली भारत देश का दिल ही तो है। दिल्ली में आपको पुरे एशिया और हिंदुस्तान के काफी तरह के व्यंजन खाने के लिए मिल जातें है. नमकीन से लेकर मिठाई तक और दिल्ली के स्ट्रीट फ़ूड (Street Food in Delhi) के तो क्या केहने. कचौड़ी (Kachori) भी सदाबहार व्यंजन है। इसे चटनी के साथ खाओ या सब्जी के साथ, मजा तो आता ही है।
लेकिन आज हम आपको दिल्ली ( delhi) की ऐसी कचौड़ी खिलाते हैं जो चटपटे मसालों से भरी हुई है. इसके साथ आलू की तीखी सब्जी के साथ कचालू की चटनी भी मिलती है. जहां का स्वाद आपका दिन बना देगा…दिल्ली के “जंग बहादुर वालों की कचोरियो” (Kachori’s in Delhi) की बात ही कुछ निराली है।
(जंग बहादुर कचोरी वाला) जिनका नाम ही सब कुछ बयां कर देता है
सालों पुरानी (जंग बहादुर कचोरी वाला) इस दुकान की एक अलग ही साख है. अब तो लोगों की बढ़ती मांग को देखते हुए इस दुकान की दिल्ली में दो ब्रांच भी खुल गई है। इस दुकान के संचालक भी मानते हैं कि उनकी कचौड़ी बेमिसाल है। दिल्ली में जंग बहादुर कचौरी वालो का अलग ही नाम है. चांदनी चौक पराठा वाली गली और दूसरी प्रशांत विहार सेक्टर 14 रोहिणी स्थित है। इस दुकान पर सुबह नाश्ते के लिए भीड़ दिख जाएगी तो दोपहर को लोग कुछ और खाते नजर आएंगे। शाम तक इस दुकान पर खाने के शौकीनों का आना-जाना लगा रहता है।
वैसे तो एक चाट की दुकान पर जो कुछ मिलना चाहिए, वह इस दुकान पर मौजूद है। फिलहाल हम इस दुकान की मटर कचौड़ी की बात कर लें. कचौड़ी की लोई में मसालेदार दाल का स्टफ भरा जाता है. जब तेल में तलकर ये कचौड़ी बाहर आती है तो इसकी सौंधी खुशबू से लोग खींचे चले आते हैं। इस कचौड़ी के साथ आलू की सब्जी और कचालू की चटनी इसका स्वाद ही अलग तरह से पेश करते हैं। अगर आप इनकी दूसरी ब्रांच पर जाते है तो वहा दाल की कचौड़ी (प्याज,कढ़ी के साथ, बेड़मी पूरी, ड्राई फ्रूट लस्सी भी उपलब्ध है। उसे भी लोग पसंद करते हैं. लेकिन खस्ता कचौड़ी ज्यादा लोगों के मुंह लगी हुई है। सुबह आप सुबह वहां पहुंचेंगे तो नाश्ते में बेड़मी पूरी के साथ नागौरी हलवा मिलेगा।
दुकान के संचालक नितिन और तरुण वर्मा बताते हैं कि करीब 60 साल पहले उनके दादा जी श्री जंग बहादुर जी ने एक छोटी सी दुकान लगाकर कचौरी की दुकान की शुरुआत की जिसके बाद उनके पिताजी दिनेश कुमार वर्मा ने काम को संभाला और बदलते समय के साथ-साथ बदलती पीढ़ी ने इस काम को बखुभी संभाल रखा है। अब इस काम की बागड़ोर तीसरी पीढ़ी के हाथ में है। समय बदलता रहा पर यहां का स्वाद आज भी वहीं है। शुद्ध एवं चटपटे मसालो से तैयार की हुई कचौरी का अपना अलग ही मजा है। साफ़-सुथरी इस दूकान पर सुबहे से ही कचौरी बनना शुरु हो जाते है। जिसका सिलसिला शाम तक ऐसे ही बरक़रार रहता है।
यदि आप इनका आनंद लेना चाहते हैं तो सब-कुछ भूलकर इनके स्वाद और खुश्बुओं में खो जाएं.आप सभी यहां आएं.और मिल-जुलकर इनका आनंद उठाएं।
तहलका डॉट न्यूज