कुल्फी,फलुदा पसंद करने वालों को हम बता रहे हैं उदयपुर में रबड़ी कुल्फी और खास फालूदा की एक खास दुकान के बारे में जहां का स्वाद आपका का दिन बना देगा…
कुल्फी, रबड़ी,फलुदा का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। आए भी क्यों न! आखिर रबड़ी कुल्फी इतनी टेस्टी जो होती है। फिर जब इतनी गर्मी हो, तो कुल्फी,फलुदा का मजा दोगुना हो जाता है। कुल्फी,फलुदा पसंद करने वालों को हम बता रहे हैं झीलों की नगरी में कुल्फी की मशहूर दुकान के बारे में जहां का लाजवाब स्वाद आप दिन बना देगा…
हीरा भाई रबड़ी कुल्फी वाले:- रबड़ी कुल्फी के चाहने वालों के लिए ये जगह खास है.2012 में लच्छेदार रबड़ी और रबड़ी कुल्फी,और फलुदा के साथ शुरू होने वाली इस दुकान में आज अच्छी क्वॉलिटी की कई फ्लेवर वाली कुल्फी,और ख़ास फलुदा मिलता हैं.यहां की कुल्फी अपने फ्रेश टेस्ट के लिए जानी जाती है। खास बात यह है कि यहां जो कुल्फी और रबड़ी बनाई जाती है वह ओरिजिनल गाय के दूध से ही बनाई जाती है जो अपने आप में स्वास्थ्यवर्धक है.
उदयपुर के राडा जी चौराया, आर्युवेदिक चौराहे के पास कुल्फी-फलूदे का एक ठिकाना दूर-दूर तक मशहूर है. एक छोटी सी स्टॉल से हीरा भाई कुल्फी निकाल-निकाल कर और फालूदा में सिरप डाल कर लोगो को धड़ाधड़ ठंडी-ठंडी, कूल-कूल कुल्फी-फलूदा का मजा चखा रहे है .यह स्टाल इतनी मशहूर है कि यहां हर पल रबड़ी कुल्फी-फलूदा.खाने वालो की भिड़ रहती है यहाँ आकर आप रॉयल फलुदा विद आइसक्रीम , स्पेशल रबड़ी फलूदा ,केसर कुल्फी, मैंगो कुल्फी और खास केवड़ा कुल्फी के शौक़ीन अपना शौक पूरा कर सकते हैं.गिलास में सर्व रबड़ी-फलूदा भी है, लेकिन लच्छेदार रबड़ी और कुल्फी से ही इनकी पहचान है.
उदयपुर में जैसे-जैसे पारा बढ़ता जा रहा है वैसे ही चिलचिलाती धूप लोगों को सताने लगी है। गर्मी के दिनों में कुल्फी की ठंडक लोगों को बहुत आकर्षित कर रही है। उदयपुर की मशहूर कुल्फी की दुकान, हीरा भाई रबड़ी कुल्फी वाले के मालिक हीरा भाई से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि ये रबड़ी कुल्फी की दुकान करीब 9 साल पहले शुरू की गई थी.यहां दिनभर की 200-400 कुल्फियां बिक जाती हैं. रबड़ी कुल्फी, स्पेशल रबड़ी फालूदा लोग ज्यादा पसंद करते हैं.
इनकी कुल्फी की शोहरत दूर-दूर तक है. कई दशकों का अनुभव इनकी कुल्फी में साफ नजर आता है. कुछ खास तरह की कुल्फियों ने यहां अपना रंग जमा रखा है.समय के साथ जैसे-जैसे व्यापार बढ़ता गया, वैसे-वैसे कुल्फी ने भी अपने रंग बदले और समय को देखते हुए इसमें किस्में जुड़ती गईं.लकिन कवालिटी को लेकर उन्होंने कभी कोई समझौता नहीं किया. दूध से लेकर फलों तक सभी चीजों को जांचने-परखने के बाद ही उनका इस्तेमाल किया जाता है.
हीरा भाई जी का दावा है कि कुल्फी का जो टेस्ट पहले था, वही आज भी बरकरार है.वे बताते हैं कि कुल्फी बनाने का तरीका आज भी उन्होंने पुराने स्टाइल का ही रखा है.बारह महीने यह सिलसिला चलता रहता है.
तहलका डॉट न्यूज