जयपुर-स्वामी श्री बालमुकुंद आचार्य जी महाराज हाथोज धाम ने सभी प्रदेशवासियों को गंगा दशहरा की बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की उन्होंने बताया कि हिंदू धर्म में जेष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को संवत्सर का मुख कहा गया है। इस दिन दान और स्नान का अत्यधिक महत्व है।
स्वामी जी ने बताया कि वराह पुराण के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को हस्त नक्षत्र में गंगा मैया स्वर्ग से धरती पर आई थी इस पवित्र नदी में स्नान करने से 10 प्रकार के पाप नष्ट होते हैं।
इस दिन पवित्र नदी गंगा जी में स्नान किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति वहां तक जाने में असमर्थ है तो वह अपने घर के पास किसी नदी या तालाब में गंगा मैया का ध्यान करते हुए स्नान कर गंगा जी का ध्यान करते षोडशोपचार से पूजन करना चाहिए। गंगा जी का पूजन करते हुए ओम नमः शिवायै नारायणयै दशहरायै गंगायै नमः का जाप करें।
स्वामी श्री बालमुकुंद आचार्य जी महाराज ने बताया कि भागीरथी की तपस्या के बाद जब गंगा माता धरती पर आई थी। उस दिन ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी। गंगा माता के धरती पर अवतरण के दिन को गंगा दशहरा का नाम से पूजा जाने लगा। इस दिन गंगा नदी में खड़े होकर जो गंगा स्तोत्र पड़ता है वह अपने सभी पापों से मुक्ति पाता है।
गंगा दशहरे को श्रद्धालु जिस भी वस्तु का दान करें उनकी संख्या 10 होनी चाहिए यदि कोई व्यक्ति पूजन के बाद दान करना चाहता है तब वह 10 प्रकार के वस्तुओं का होना चाहिए। लेकिन जौ और तिल का दान सोलह मुट्ठी का होना चाहिए। दक्षिणा भी 10 ब्राह्मणों को देनी चाहिए जब गंगा नदी में स्नान करें तब 10 बार डुबकी लगानी चाहिए। ऐसा करने से शुभ फलों में अधिक वृद्धि होती है।