कोटपूतली- हनुमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम। राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम। सुन्दरकाण्ड का प्रथम दोहा है, जिसमें हनुमान जी कहते हैं कि राम का काम किए बगैर मुझे विश्राम नहीं करना है। परिश्रम की प्रधानता को बल देने वाले इस दोहे से सीख लेकर कोटपूतली की ‘नि:शुल्क सुंदरकांड समिति’ बीते 38 वर्षों से धर्म का अलख जगा रही है। यह समिति शहर से लेकर गांव तक एक आमंत्रण मात्र से घर-घर जाकर न केवल नि:शुल्क संगीतमय सामूहिक सुंदरकांड का पाठ व भजन करती है, बल्कि विभिन्न मंदिरों व संस्थाओं में भी हनुमान स्तुति की सेवाएं देती है। इसमें शामिल बच्चे, बुजुर्ग व युवा हों या महिलाएं हर कोई सच्चे मन से पूरे भाव से प्रभु हनुमानजी का गुणमान करते हैं। ईश्वर के प्रति श्रद्धा का भाव हर मन में होता है, लेकिन आस्था की किरण से दूसरे व्यक्ति की धार्मिक चेतना को जागृत करना व उसे इससे जोडऩा वास्तविक आराधना है। ऐसे ही धर्म व भक्ति का पुंज बनकर समाज को सांस्कृतिक व धार्मिक भावना में पिरोने का काम रही है ‘नि:शुल्क सुंदरकांड समिति’। यह समिति पिछले 38 वर्षों में अब तक सैंकड़ों संगीतमय सुंदरकांड का पाठ कर चुकी है और बृहद होती इस समिति में दर्जनों नियमित सदस्य शामिल हैं। धर्म जागरण के साथ लोगों में आपसी मेल मिलाप की भावना को जागृत करने, समाज में लुप्त होते धर्म प्रसार को चेतन रखते हुए युवाओं में नवचेतना पैदा करने व भारतीय संस्कृति को जीवित रखने के उद्देश्य को लेकर शुरु हुई इस समिति में शामिल सदस्य चाहे ग्रामीण इलाका हो या शहरी क्षेत्र, सभी जगह पहुंचते हैं। पढ़े-लिखे और सर्विसशुदा लोग इस समिति के माध्यम से रामनाम गुणगान करने में नया सोपान रच रहे हैं।
इस तरह पड़ी मंडल की नींव नि:शुल्क सुंदरकांड समिति के मुखिया और पेशे से पत्रकार आनंद पंडित बताते हैं कि वर्ष 1982 में 8 अप्रेल को हनुमान जयंती के उपलक्ष्य में शहर के लक्ष्मीनारायण मंदिर (देवस्थान) परिसर में उनके द्वारा प्रथम संगीतमय सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया गया था, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री स्व.भैरोसिंह शेखावत के चचेरे भाई विहिप के वरिष्ठ नेता स्व.जयबहादुर सिंह शेखावत भी शामिल थे। उस दौर में उनके पिता वैद्य स्व.ताराचंद मुद्गल बजरंग दल के जिलाध्यक्ष थे और उन्होंने हिंदू जन जागरण की मुहिम छेड़ रखी थी। उनकी प्रेरणा और आदर्शों को अपनाते हुए आनंद पंडित ने उसी हनुमान जयंती के दिन से नि:शुल्क संगीतमय सुंदरकांड पाठ करने का संकल्प लिया और यह सिलसिला लगातार अब तक चला आ रहा है। उस आयोजन में वैद्य स्व.ताराचंद मुद्गल सहित सेनि.एसडीएम स्व.प्रभुशरण शर्मा, स्व.सोहन शरण मुंशी, स्व.लक्ष्मीनारायण गुप्ता, सेनि.शिक्षक रतनलाल शर्मा, शिक्षाविद् स्व.विरेन्द्र कुमार शर्मा समेत शहर के बड़ी संख्या में गणमान्य लोग शामिल थे।
जानिए क्या है सुन्दरकांड समिति
यह समिति लोगों के आग्रह पर उनके घरों, मंदिरों या फिर बताए हुए स्थलों पर संगीतमय सुन्दरकांड का पाठ नि:शुल्क करती है। आमंत्रण मिलने पर अपना सारा काम-धंधा छोडक़र सभी सदस्य सुंदरकांड का पाठ करने पहुंच जाते हैं। इनकी विशेषता यह है कि इस पाठ को करवाने के लिए कोई भी शुल्क या चढ़ावा नहीं लिया जाता। यहां तक कि आरती में भी नकदी नहीं स्वीकारी जाती। आयोजन में जो भी धनराशि खर्च होती है, उसे सदस्य अपने स्तर पर ही वहन करते हैं। यहां तक ढोलक, कैशियो व अन्य वाद्ययंत्र के वादकों का खर्च भी समिति अपने स्तर पर ही करती आ रही है। इससे आयोजक भी खुशी व सम्मान का अनुभव करते हैं। हर सुंदरकांठ पाठ के बाद हनुमान चालीसा, कुछ भजनों की प्रस्तुति और उसके बाद आरती की जाती है। इस समिति ने आज विस्तृत रूप लेकर नगर में सुंदरकांड का संगीतमय पाठ करने में अपनी अच्छी पहचान बना ली है। हांलाकि, गत कुछ वर्षों से मूल पार्टी के ही सदस्यों द्वारा अलग-अलग नवीन मंडल बनाकर सुंदरकांड पाठ के पवित्र आध्यात्मिक अभियान को विस्तार देने का भी अनुकरणीय कार्य किया जा रहा है, लेकिन मूल रुप से शुरुआती मंडल द्वारा नि:शुल्क पाठ का बीड़ा अभी भी मूल मंडल के हाथों में ही है। स्वैच्छिक सेवा करते हैं समिति के सदस्य नि:शुल्क सुंदरकांड समिति के सदस्य स्वैच्छिक सेवा देते हैं और इनमें समाज के हर तबके के लोगों की सहभागिता होती है। समिति में शामिल सरकारी कर्मचारी, व्यापारी, कलाकार, युवा-बुजुर्ग व मेहनत-मजदूरी करने वाले लोग तक श्रीराम भवन में एकत्र होकर एक साथ आयोजन स्थल पर पहुंचते हैं। सदस्यों का सुंदरकांड के प्रति समर्पण उन्हें एक-दूसरे से जोड़े रखता है। पाठ का समय हमेशा रात का होता है, ताकि इसके सदस्य अपने रोजमर्रा के काम या ड्यूटी पूरी कर सकें। खास त्योहारों पर मंदिरों में भी यह समिति सामूहिक पाठ करती हैं। शुरुआती दौर से अब तक शिक्षाविद् रतनलाल शर्मा, डा.मुकेश सैनी, पत्रकार अनिल शरण बंसल, व्याख्याता सुमेश सैनी, व्यापारी कुलदीप सैनी, शिक्षक कमलेश सैनी व दिनेश सैनी, नरसी सैनी, प्राचार्य पूरणचंद कसाना, राजेश सैनी, बीएड कॉलेज के सचिव सत्यनारायण कौशिक, घनश्याम शर्मा उर्फ बब्बल, दीपक कौशिक उर्फ अक्कू, पार्षद मनोज गौड, दीपक बंसल, दीपक गुलशन, सरपंच विक्रम रावत, सुमित शर्मा समेत करीब दो दर्जन से अधिक लोग पार्टी में सक्रिय रहते हैं।
श्रीराम की अलख जगाना हमारा मकसद समिति के मुखिया आनंद पंडित बताते हैं कि हमारा उद्देश्य हर घर में हनुमानजी की अलख जगाना है और इसी मकसद से समिति से जुड़े सदस्य विगत 38 वर्षों से घर-घर व मंदिरों में संगीतमय सुंदरकांड पाठ करते आ रहे हैं। समर्पण, सेवाभाव और भक्ति का श्रेय अपने पिता स्व.वैद्य ताराचंद मुद्गल को देते हुए आनंद पंडित ने कहा कि सुंदरकांड के पाठ से घर से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इससे परिवार के सदस्यों व आसपास के लोगों में सौहार्द बढ़ता है। हमारी मान्यता है कि जहां भगवान श्रीराम का नाम लिया जाता है, वहां हनुमानजी पहुंच जाते हैं और भक्तों के संकट का निवारण करते हैं।