जयपुर-राजस्थान के आदिवासी मीणा सेवा संघ के सम्मेलन में शामिल हुए मीणा विधायकों ने खुल कर के कहा कि आदिवासियों का अलग धर्म कोड होना चाहिए। सम्मेलन में देश में आदिवासी कोड लागू करने और जनगणना फार्म का अलग से कालम रखने की मांग का प्रस्ताव किया गया। आदिवासियों को हिंदू धर्म से अलग रखने पर स्वामी श्री बालमुकुंद आचार्य जी महाराज हाथोज धाम ने इसकी घोर निंदा करते हुए कहा कि आदिवासी हिंदू धर्म के अभिन्न अंग है।
उन्होंने कहा कि पहले कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा ने सदन के अंदर आदिवासियों पर हिंदू धर्म थोपने का आरोप लगाया अब कांग्रेस के विधायक गोपाल मीणा और निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा ने भी आदिवासियों के अलग धर्म कोड की मांग की है जो बिल्कुल गलत है और निंदनीय है।
स्वामी श्री बालमुकुंद आचार्य जी महाराज ने बताया कि आदिकाल से आदिवासी समाज पंचतत्व की पूजा करता आ रहा है। वनवास के दौरान भगवान राम ने आदिवासी समाज को स्वयं अपने साथ रखा । सतयुग काल में माता शबरी भगवान की आराधना करती है। महाभारत काल में भी कई ऐसे प्रसंग है।
आदिवासी समाज अनादि काल से पंच तत्वों की पूजा करता आ रहा है। पंचतत्व की पूजा संपूर्ण हिंदू समाज करता है। आदिवासी समाज शिव की आराधना करता है। अनादि काल से शिव की उपासना सारा हिंदू समाज करता रहा है।
आदिवासी मीणा समाज सनातन धर्म का ध्वजवाहक आज मत्स्य भगवान के वंशज मीणा समाज पर जिम्मेदारी आ गई है। कि हमारे समाज पर यह गलत विचार थोपने वाले लोगों को करारा जवाब दें।
स्वामी श्री बालमुकुंद आचार्य जी महाराज ने कहा कि विधायक गणेश घोघरा, रामकेश मीणा, गोपाल मीणा को हिंदू समाज से क्षमा मांगनी चाहिए उन्होंने बहुत गलत बात कही है। यह लोग कौन होते हिंदू धर्म के ठेकेदार क्या इनको आदिवासी समाज ने ठेकेदार बनाया है। यह नेता लोग अपनी राजनीति चमकाने के लिए उल्टी सीधी बातें करते हैं। में इनकी घोर निंदा करते हुए आदिवासी समाज से मांग करता हूं कि ऐसे नेताओं को जो आप लोगों को हिंदू धर्म से अलग करने की कोशिश कर रहे हैं। इनका जातीय बहिष्कार किया जाए।
और यह नेता लोग अगर हिंदू समाज को बांटने की कोशिश करेंगे तो संपूर्ण संत समाज इनके खिलाफ सड़कों पर उतर कर इनका विरोध करेगा।