जयपुर:-हाथोज धाम के स्वामी श्री बालमुकुंद आचार्य जी महाराज ने सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जयंती पर देश व प्रदेश वासियों को बधाई देते हुए कहा कि गुरु गोविंद सिंह त्याग और वीरता की मिसाल थे।उनके द्वारा सिख संप्रदाय की स्थापना हिंदुओं की रक्षा करने के लिए की गई थी। और कई अहम मौकों पर मुगलों और अंग्रेजों से देश को बचाया था। गुरु गोविंद सिंह सिखों के 10 वे गुरु माने गए हैं। जिनमें से आखरी गुरु थे गुरु गोविंद सिंह।
गुरु गोविंद सिंह जी के द्वारा खालसा पंथ की स्थापना की गई। गुरु गोविंद साहब को सिखों का अहम गुरु माना जाता है। उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी बहादुरी उनके लिए शब्द इस्तेमाल किया जाता है “सवा लाख से एक लड़ाऊं” उनके अनुसार शक्ति और वीरता के संदर्भ में उनका कहना था कि एक सिख सवा लाख लोगों के बराबर है।गुरु गोविंद सिंह जी ने 1699 ईस्वी में खालसा पंथ की स्थापना की खालसा यानी खालिस (शुद्ध) जो मन, वचन, कर्म से शुद्ध हो और समाज के प्रति समर्पण का भाव रखता हो।
उनके द्वारा पंच प्यारे बनाकर उन्हें गुरु का दर्जा देकर स्वयं उनके शिष्य बन जाते थे। और कहते थे। जब पांच सिख इकट्ठे होंगे वहीं में निवास करूंगा उन्होंने सभी जाति के भेदभाव को समाप्त करके समानता स्थापित की और उनमें आत्मसम्मान की भावना पैदा की गुरु गोविंद सिंह जी ने एक नारा दिया था “वाहेगुरु जी का खालसा” “वाहेगुरु जी की फतेह”दमदमा साहिब में गुरु गोविंद सिंह जी ने याद शक्ति और ब्रह्मबल से गुरु ग्रंथ साहिब का उच्चारण किया। और लेखक भाई मनी सिंह जी ने गुरबाणी को लिखा।
गुरु गोविंद सिंह जी ने अपनी जिंदगी में वह सब देखा था जिसे देखने के बाद शायद मनुष्य अपने मार्ग से भटक या डगमगा जाए लेकिन उनके साथ ऐसा नहीं हुआ। परदादा गुरु अर्जुन देव के शहादत, दादा गुरु हरगोविंद द्वारा किए गए युद्ध, पिता गुरु तेग बहादुर की शहीदी, चार में से दो बड़े पुत्रों को चमकौर के युद्ध में शहीद होना, छोटे दो पुत्रों को जिंदा दीवार में चुनवा दिया जाना, वीरता वह बलिदान की विलक्षण मिसालें हैं। इस सारे घटनाक्रम में भी अडिग रह कर गुरु गोविंद सिंह संघर्ष करते रहे यह कोई सामान्य बात नहीं है।
तहलका.न्यूज़