जयपुर-हाथोज धाम के स्वामी श्री बालमुकुंद आचार्य जी महाराज ने बताया कि मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष मोक्षदायिनी एकादशी 25 दिसंबर शुक्रवार को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है मोक्षदा एकादशी पितरों को मोक्ष दिलाने वाली एकादशी मानी जाती है।
स्वामी श्री बालमुकुंद आचार्य जी महाराज ने बताया कि हिंदू धर्म ग्रंथों में बताया गया कि एकादशी बड़े-बड़े पातको का नाश करने वाली है। इस दिन जो भी श्रद्धा भक्ति विधि विधान के साथ व्रत करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
स्वामी श्री बालमुकुंद आचार्य जी महाराज ने एकादशी का महत्व बताते हुए कहा कि विष्णु पुराण के अनुसार मौजूदा एकादशी का व्रत हिंदू वर्ष की अन्य 25 एकादशी उपवास रखने के बराबर है। इस एकादशी का पुण्य पितरों को अर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। वह नरक की यातनाओं से मुक्त होकर स्वर्ग लोक को प्राप्त करते हैं।
स्वामी श्री बालमुकुंद आचार्य जी महाराज ने एकादशी व्रत की पूजा विधि बताई जो इस प्रकार है इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण करते हुए पूरे घर में गंगाजल छिड़के एवं पूजन सामग्री में तुलसी की मंजरी, धूप, दीप, फल, फूल, रोली, कुमकुम, चंदन, अक्षत, पंचामृत रख कर विघ्नहर्ता भगवान गणेश, भगवान श्री कृष्ण और महर्षि वेदव्यास की मूर्तियां या तस्वीर सामने रखें एवं श्रीमद भगवत गीता की पुस्तक भी रखें सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन करें तत्पश्चात भगवान विष्णु का षोडशोपचार से पूजन करके गीता पाठ प्रारंभ करें मोक्षदा एकादशी का माहात्म्य सुने आरती कर प्रसाद बांटे। व्रत का पारणा एकादशी के अगले दिन सूर्योदय के बाद खोलना चाहिए।मोक्षदा एकादशी की पौराणिक कथा पढने-सुनने से वाजपेय यज्ञ का पुण्य फल मिलता है. मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन ही कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद् गीता का उपदेश दिया था. अत: यह तिथि गीता जयंती के नाम से विख्यात हो गई. इस दिन से गीता-पाठ का अनुष्ठान प्रारंभ करें तथा प्रतिदिन थोडी देर गीता अवश्य पढें. गीतारूपीसूर्य के प्रकाश से अज्ञान रूपी अंधकार नष्ट हो जाएगा।