November 24, 2024
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छठ पूजा व्रत जीवन में सुख समृद्धि और संतान व पति की दीर्घायु के लिए किया जाने वाला सुहागिन व्रत है। दीपावली के 5 दिन बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य व्रत करने का विधान है। उस दिन भगवान सूर्य देव और छठी देवी की पूजा-अर्चना का प्रावधान होता है।छठ पर्व षष्ठी पूजा सूर्य उपासना का एक हिंदुओं का लोक पर्व है यह मुख्य रूप से देश के उत्तर पूर्वी राज्य बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश वह नेपाल के तराइन क्षेत्रों में दीपावली के समान बड़ी ही धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है खासकर बिहारियों द्वारा इस छठ व्रत को बड़े ही उत्साह व श्रद्धा के साथ मनाते हैं। ऋषियों द्वारा लिखी ऋग्वेद में सूर्य पूजन,उषा पूजन और आर्य परंपराओं के आधार पर यह बताया गया है कि छठ पूजा सूर्य, उषा, प्रकृति, जल व उनकी बहन छठी मैया को समर्पित है। छठ देवी को सूर्य देव की बहन भी माना गया है। इसके अलावा छठ पूजा अर्चना करने के पीछे अनेक धारणाएं व पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार रामायण काल में भगवान श्री राम के अयोध्या आने के पश्चात माता सीता के साथ मिलकर कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सूर्य उपासना करना तथा दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत काल में कुन्ती द्वारा विवाह से पहले सूर्य उपासना से पुत्र की प्राप्ति से भी इस छठ पर्व को जोड़ा गया है। ऐसी एक ऒर कथा के अनुसार इस पर्व को वेदमाता गायत्री के जन्म से भी जोड़ा गया है जिसमें कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी के सूर्यास्त व सप्तमी के सूर्योदय के मध्य वेद माता गायत्री का जन्म हुआ माना जाता है इसके कारण भी छठ पर्व को मनाने का महत्व बताया गया है इनके अलावा हमारे देश में छठ पूजा को मनाने व इसके महत्व के बारे में अनेक और भी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। षष्टी तिथि छठ महापर्व का सबसे खास दिन होता है. इस दिन व्रती महिलाएं ढलते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं. साथ ही उनसे आशीर्वाद प्राप्त करती हैं. नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है. नहाय-खाय से पहले ही छठ पूजा की पूरी तैयारी कर ली जाती है. इसकी शुरुआत होती है घर की साफ सफाई से. परंपरा के अनुसार, घर में एक स्थान पर मिट्टी का चूल्हा बनाया जाता है. छठ पूर्व के दौरान प्रसाद और पूरा भोजन वही बनता है।इस दौरान कद्दू की सब्जी बनाने का विशेष महत्व है।छठ पर्व के दौरान फलों का भी विशेष महत्व है. इनमें संतरा, अन्नास, गन्ना, सुथनी, केला, अमरूद, शरीफा, नारियल भी शामिल हैं. इनके अलावा साठी के चावल का चिउड़ा, ठेकुआ, दूध, शहद, तिल और अन्य द्रव्य भी शामिल किए जाते हैं. इनसे डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

छठ पूजा 4 दिनों तक चलने वाला व्रत अनुष्ठान है जिसमें विशेषकर महिलाएं अपना कठोर व्रत रखती हैं और 4 दिन तक सूर्य देव व छठ मैया की पूजा अर्चना करने के लिए यह व्रत धारण करती हैंछठ पूजा का पहला दिन (नहाए खाए के) :– छठ पूजा का क्यों हार भले ही कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है लेकिन इस पर की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाए खाए के के साथ ही शुरू हो जाता है जिसमें इस दिन व्रती स्नानादि से निवृत्त होकर नए वस्त्र धारण करते हैं वह शुद्ध शाकाहारी भोजन देते हैं।छठ पूजा का दूसरा दिन ( खरना):– शुक्ल पंचमी को व्रती सारे दिन बिना अन्न जल ग्रहण किए अपना व्रत रखते हैं और शाम को चावल और गुड़ की खीर बनाकर खाना खाते हैं। तीसरा दिन षष्ठी को (सायं कालीन अर्घ्य):– षष्ठी के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है प्रसाद व फलों को एक बांस की टोकरी में रखकर किसकी पूजा की जाती है तथा टोकरी को अपने हाथों में सिर पर लिए देने के लिए तालाब नदी या बनाए गए घाट आदि पर जाकर बीच पानी में खड़े होते हैं व पानी डुबकी लगाते हुए स्नान कर सूर्य देव की आराधना करते हैं। अंतिम दिन यानी चौथे दिन शुक्ल पक्ष में सप्तशती को प्रातः कालीन अर्घ्य सूर्योदय के साथ ही व्रती द्वारा सूर्यास्त वाली उपासना की प्रक्रिया को पुनः दोहराते हुए पूजा करते हैं। इस प्रकार लगातार चार दिन तक छठ मैया की पूजा अर्चना व सूर्य देव की उपासना की जाती है। इसी कारण छठ पूजा को लोक आस्था का महापर्व बताया गया है।

ज्ञान चन्द अजीतगढ़ (सीकर) तहलका डॉट न्यूज