November 24, 2024
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आगरा– कुम्हार वास्तुकारों द्वारा अपने युगों-युगों के वास्तु साधना के दम पर कुम्हार (प्रजापति) द्वारा अनेक भव्य मंदिर, महल, गढ़, किलो हवेलियों का निर्माण कर भारतीय स्थापत्य कला को संवारा सजाया गया है।आज भी इनकी स्थापत्य कला निर्माण का कोई सानी नहीं है। आधुनिक वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना जो पिछले 112 वर्षों से निर्माणाधीन राधा स्वामी मंदिर समाधि आगरा जिसका निर्माण कुम्हार वास्तुकारों द्वारा किया जा रहा है। 1904 से निर्माण के लिए जयपुर के आसपास से 200 वास्तुकारों ने यहां निर्माण प्रारंभ किया इन परिवारों की चौथी पीढ़ी आज इस कार्य को पूर्ण करने में लगी है।

वास्तुकार भौरीलाल खोवाल,दामोदर खोवाल, ड्राफ्टमैन गोगा लाल, रोशन लाल बब्बू लाल, जीवनदास घोड़ेला, जगत दास खोवाल, शिवकुमार, देवी प्रसाद, दुर्गा लाल, नवरत्न, सूरजमल, रामनारायण, गणेश लाल मारवाल, रघुनाथ घोड़ेला, सत्यनारायण घोड़ेला, आनंदीलाल घोड़ेला, चौगान घोड़ेला, जीवराज, रामचंद्र मोरीजा वाले, घीसीलाल, रामचंद्र सिगाठिया आदि अनेक कुम्हार वास्तुकारों के परिवार की चौथी पीढ़ी आज यहां कार्यरत है। इनके लिए अब यह कला साधना ही नहीं आस्था का सवाल भी बन गया है।

यह मंदिर अनेक मामलों में ताजमहल से अनुठा है।
इस मंदिर को इस तरह से डिजाइन किया गया है। जिसमें भूकंप और तूफान का भी कोई असर नहीं हो सकता दीवारों पर फल, फूल व सब्जियों की फलों से लदी बेले ऐसे लगती है जैसे प्रकृति ने दीवारों पर अपनी कला बिखेरी हो। सफेद संगमरमर के पत्थरों के साथ अनेक प्रकार के संगमरमर का इस्तेमाल करते हुए इनको तराशा गया है। दीवारों पर पत्थरों को कारीगरी के द्वारा इस प्रकार जोड़ा गया है कि इसमें कोई भी जोड़ दिखाई नहीं देता है।कुमावत कला साधकों के दम पर ही अब 15 वर्ष बाद यह मंदिर पूर्ण होगा ताजमहल से अनोखा और सुंदर होगा विश्व के लिए भारतीय स्थापत्य कला के क्षेत्र में आधुनिक युग में अतुलनीय मिसाल कायम करेगा।

तहलका. न्यूज़- मनोज कुमार प्रजापत