November 24, 2024
IMG-20200620-WA0008

जयपुर। आप माने या ना माने चीन आपकी हमारी जिंदगी में अंदर तक घुस चुका है। चीन आपके साथ सुबह से लेकर रात तक रहता है और यहां तक कि अपने बाथरूम में भी आप चीन से अपना पीछा नहीं छुड़ा सकते। ऐसे में वह अब हमारी जीवनचर्या का अंग बन चुका है। लेकिन अब हमें देशहित में चीन का बहिष्कार करना ही होगा।

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार रात हुई चीन की नापाक हरकत के बाद एक बार फिर से सोशल मीडिया पर चाइनीज सामान के बहिष्कार को लेकर बहस शुरू हो गई है। हालांकि अनेकों स्थानों पर व्यापारियों ने भी चाइनीज माल के बहिष्कार का फैसला किया है तो स्वदेशी जागरण मंच व कैट ने भी चीन के आर्थिक बहिष्कार व स्वदेशी अपनाने को लेकर अभियान तेज कर दिया है।

रिपोर्टस की मानें तो स्वदेशी जागरण मंच व भारतीय व्यापारी संघ ने चीन से आने वाले कॉस्मेटिक, बैग, खिलौने, फर्निटर, जूते-चप्पल सहित ऐसे करीब 500 सामानों की लिस्ट तैयार की है जो अब भारत नहीं लेगा और चीनी सामानों का बायकॉट भी करेगा। कैट ने तो ‘भारतीय सामान-हमारा अभिमान’ नाम से अभियान की शुरुआत भी कर दी है।

दैनिक जीवनचर्या की बात करें तो हम अनेकों ऐसी वस्तुओं का उपयोग प्रतिदिन करते हैं, उनमें से अधिकांश चायनीज होती हैं। एक प्रकार से यूं कहें तो जागरण के दौरान सुबह बजने वाली अलार्म घडी से लेकर, नित्य उपयोग की वस्तुएं, पूजागृह में मूर्तियां, क्रॉकरी के बर्तन, कार का सामान, डीजिटल व इलेक्ट्रोनिक्स उपकरण, डिजिटल फोटो फ्रेम, दवाईयां, पेस्टिसाइड, स्टील, पटाखे यहां तक की जूते भी चायनीज ही होते हैं।
इले​क्ट्रिक उत्पादों के विक्रेता कमलेश रावत का कहना है कि भारत के बनने वाले उत्पादों की तुलना में चायनीज सामान के काफी सस्ता होने से उसकी मांग अधिक रहती थी। लेकिन पिछले दिनों शुरू हुए चीन के आर्थिक बहिष्कार अभियान से इलेक्ट्रिक चायनीज उत्पादों की बिक्री में कमी आ गई है।

ऐसे में अब हम सोच सकते हैं कि चीन में बने सामान का बहिष्कार करके चीन को सबक सिखाने की जो संकल्प लिए जा रहे हैं उन संकल्पों को पूरा करने के लिए हमको अपनी जीवनचर्या को पूरी तरह से बदलना होगा। तभी हम भारत को आत्मनिर्भर बनाने में सहयोगी बन सकेंगे।
वहीं स्वदेशी जागरण मंच के जयपुर प्रांत संयोजक डॉ. शंकरलाल का कहना है कि सस्ते के फेर में लोग स्वदेशी की बजाय चायनीज उत्पाद खरीदकर उपयोग करते हैं। जिसकी पहुंच शहरों से लेकर गांवों तक हो गई है। लेकिन अब मंच द्वारा अभियान चलाकर समाज में चायनीज का बहिष्कार करने के प्रति जागरूक किया जा रहा है।