हम जिन चीजों को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग करते है उनके बारे में जानना भी बहुत जरुरी है. और पैसा तो हमारा जिंदगी का एक अहम हिस्सा है इसके बारे में तो हमें पता ही होना चाहिए हर देश की कैरेंसी अलग- अलग है. भारत की कैंरेसी को रुपया कहा जाता है.
भारत में कैरेंसी के रुप में नोट और सिक्के चलते है। सिक्के 1 रुपये, 2 रुपये, 5 रुपये और 10 रुपये के है. जबकि नोट 10 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये और 2000 रुपये के नोट मौजूद है. जिन्हें बाजार में क्रय विक्रय के लिए उपयोग करते है. लेकिन क्या आप जानते है कि नोट जो हमारी रोजमर्रा का अहम हिस्सा है वो कहां छपते है.
भारत में नोट छापने के उद्देश्य से साल 1926 में सरकार ने महाराष्ट्र के नासिक में एक प्रिंटिंग प्रेस शुरू की. जिसमें 100, 1000 और 10 हजार के नोट छापने का काम किया जा रहा था. हालांकि कुछ नोट इंग्लैंड से मंगाए जा रहे थे.
रिपोर्टस के मुताबिक भारत में नोट केवल चार जगहों पर ही छपते है – नासिक, सालबोनी, मैसूर और मध्य प्रदेश के देवास में छपते हैं. क्योंकि केवल इन्ही जगहों पर बैंक नोट प्रेस, चार टकसाल और एक पेपर मिल है. जबकि भारतीय सिक्के इंडियन गर्वोमेंट दारा छापे जाते है जिसकी शाखाएं मुंबई, नोएडा, कोलकत्ता और हैदराबाद में है.
साल 1947 में भारत के आजाद होने तक नोट छापने का जरिया नासिक प्रेस ही थी. उसके बाद साल 1975 में भारत की दूसरी प्रेस मध्यप्रदेश के देवास में शुरू की गई. उसके बाद साल 1997 तक इन दो प्रेस से नोट छापे जा रहे थे. साल 1997 में पहली बार भारतीय सरकार ने बढ़ती आबादी के कारण अमेरिका, कनाडा और यूरोप से नोट मंगवाने शुरु किए. इसके बाद साल 1999 में मैसुर में और 2000 में पश्चिम बंगाल के सलबोनी मे प्रिटिंग प्रेस खोली गई. और अब इन्ही जगहों पर भारतीय नोटों की छपाई होती है.
आपको बता दें भारत की चार प्रिंटिग प्रेस में से देवास की बैंक नोट प्रेस और नासिक की बैंक नोट प्रेस भारतीय वित्त मंत्रालय के नेतृत्व वाली सिक्योरिटी प्रिंटिंग एँड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के अंतर्गत आती है. जबकि मैसूर और सलबोनी की प्रेस नोट रिर्जव बैंक ऑफ इंडिया की सब्सिडियरी कंपनी भारतीय रिर्जव बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड के आधीन है.
कहां से आती है स्याही-
भारत के नोट में लगने वाली स्पेशल स्याही स्विजरलैंड की कंपनी SICPA से आयात की जाती है और यह कंपनी कई देशों को स्याही निर्यात करती है. इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्वदेशी इंक और पेपर बनाने के लिए कहा था. कहा जाता है कि इसमें इंटैगलियो, फ्लूरोसेंस और ऑप्टिकल वेरिएबल इंक का इस्तेमाल होता है.
भारतीय नोट का कागज
भारतीय नोट जिस कागज से बनते है उनमें से अधिकांश कागज भारत में नहीं बनता ऐसा इसलिए क्योंकि भारत की केवल एक ही पेपर मिल है जो होशंगाबाद है। जो भारतीय नोटों और स्टंप के लिए पेपर बनाती है। इसके अलावा भारतीय कैरेंसी के लिए अधिकतर कागज र्मनी, यूके और जापान से आता है। जो नोट बने में लगने वाले कुल कागजों का 80 प्रतिशत है।
किस नोट की छपाई पर कितना खर्च-
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आरटीआई में खुलासा हुआ था कि 5 रुपए के नोट में 50 पैसे, 10 रुपए के नोट में 0.96 पैसे, 50 के नोट में 1.81 रुपए और 100 के नोट में 1.79 रुपए की लागत आती है.
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