September 16, 2024

आपने मथुरा का पेड़ा तो खूब खाया होगा। अगर आप राजस्थान में हैं तो जयपुर के प्रसिद्ध पेड़ों के आगे सभी स्वाद भूल जाएंगे।

त्‍यौहार आते ही बाजार मिठाइयों से गुलजार हो जाते हैं. इस बीच राजस्‍थान की राजधानी जयपुर के बाजार भी सज गए हैं। जबकि इस शहर की कई मिठाइयां दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। दरअसल जयपुर के खातीपुरा रोड, हसनपुरा स्थित जैन पेड़ा वाला (जैन स्वीट कॉर्नर) का स्वाद और इतिहास दोनों ही शानदार है। इस पेड़े की मिठाई की डिमांड दुबई, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में सबसे ज्यादा है। यह ऐसी एकमात्र मिठाई है जो बिना फ्रिज में रखे 20 दिन तक खराब नहीं होती है. मगर बारिश के दिनों में यह 5,6 दिन तक इस्तमाल कर सकते हैं। जयपुर में पेड़ा की मिठाई जैन पेड़ा वाला (जैन स्वीट कॉर्नर) पर ही बनाने की शुरुआत की गई थी।

जिसने भी पेड़ों का स्वाद पहली बार चखा, वो हमेशा के लिए दीवाना बन गया। ये वो दौर था जब जयपुर में कई पुराने मिठाई वाले जनता के बीच पॉपुलर थे। लेकिन जैन के पेड़ों ने लोगों के मन में खास जगह बनाई। हर त्योहार पर आम और VVIP लोगों में उनके पेड़ों की डिमांड होने लगी।

जयपुर की हसनपुरा क्षेत्र में स्थित खातीपुरा रोड एनबीसी कंपनी के सामने जैन पेड़े वाले की दुकान है। जिसे 1980 में श्री प्रेमचंद जी जैन और उनके बेटे सुकान्त जैन ने शुरू किया। जिसके बाद 1990 से उनके बेटे गोल्डी जैन ने दुकान संभाली। उसके बाद पेड़े की डिमांड और ज्यादा बढ़ी। बेटों के सहयोग से बड़े आयोजनों के ऑर्डर लेने शुरू कर दिए। जयपुर के लोगों में दूर-दूर तक जैन साहब के पेड़े काफी पॉपुलर हुए।

अब श्री प्रेमचंद जी जैन तो नहीं रहे लेकिन उनके बेटे और पोतों ने पेड़ों का स्वाद और क्वालिटी को बरकरार रखा है। इसकी वजह है कि पेड़े बनाने के लिए दूध जयपुर के आसपास के गांव से आता है। पैकेट वाले दूध का इस्तेमाल नहीं किया जाता। गोल्डी जैन बताते हैं कि उनके यहां कस्टमर भी सालों से आ रहे हैं। जो कस्टमर एक बार दुकान पर आ जाता है वो यहां का रेगुलर कस्टमर हो जाता है। ऐसे में इस पेड़े को कोई मुंबई तो कोई दिल्ली कोई विदेश तक लेकर जाता है।

दुकान को अब गोल्डी जैन उनके भाई विकास जैन तीसरी पीढ़ी और विशाल जैन चौथी पीढ़ी चलाते हैं। उन्होंने इस पारंपरिक बिजनेस को ही आगे बढ़ाने का निर्णय लिया और पिता के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

पेड़े बनाने में 4 घंटे का समय लग जाता है जिसमें दूध को मावा बनाने के लिए धीमी आंच पर ढाई से 3 घंटे तक चलाया जाता है। लकड़ी की मस्ती (पलटा) से मावा सेका जाता है। मावा तैयार होने के बाद उसमें खूब सारा शक्कर डालकर फिर से सिकाई करते हैं।मावे का कलर सुनहरा होने के बाद उसे ठंडा होने के लिए बर्तन में निकाल देते हैं। ठंडा होने पर मावे के ऊपर खूब सारे इलायची पाउडर डालकर उसे छोटे-छोटे बाटियों के आकार में तैयार किया जाता है।

11, Khatipura Rd, Kamala Nehru Nagar, Khatipura, Hasanpura, Jaipur, Rajasthan 302006