November 24, 2024
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पावटा (अजय शर्मा)

पावटा पण्डित सोहन लाल शर्मा पुजारी श्री झीडा वाले बालाजी ने बताया कि योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के जयु धातु से हुई है जिसके दो अर्थ होते हैं। एक जोड़ना दूसरा अनुशासन योग की उत्पत्ति मानव जीवन से पूर्व हुई थी भगवान शिव को योग गुरु माना जाता है इसलिए ही इनको आदियोगी भी कहते हैं योग स्वस्थ जीवन जीने की कला एवं विज्ञान है।

मानसिक शांति एवं तनाव मुक्त जीवन शारीरिक थकान रोगों से मुक्ति और वजन पर काबू करना योग का प्रमुख लाभ है। भारतीय वाड़मय में गीता का अपना महत्वपूर्ण स्थान है। गीता में योगेश्वर श्री कृष्णा को विभिन्न अर्थों में प्रयुक्त करते हुए अनुकूलता प्रतिकूलता सिद्धि असिद्धि सफलता विफलता जय पराजय इन समस्त भावों में आत्मसात रहते हुए सम रहने को योग कहते हैं।

आत्मा जब परमात्मा की उपासना करती है तो भगवान के दिव्य ज्ञान प्रेरणा सामर्थ सुख शांति एवं दिव्य आनंद से युक्त होना ही और भगवान की दिव्यता से जुड़ना यही योग है योग के तीन पहलू है। ज्ञान अभ्यास आचरण योग एक बहुत ही प्राचीन वैज्ञानिक व्यवहारिक एवं पंथनिरपेक्ष सत्य है। योग भारतीय ऋषि मुनियों द्वारा प्रतिपादित एक विशिष्ट आध्यात्मिक प्रक्रिया है। योग के कई सारे अंग और प्रकार है जिनके जरिए हमें ध्यान समाधि और मोक्ष तक पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त होता है।