October 18, 2024
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  • राजस्थान में क्या खाकी का इकबाल कायम है? राजस्थान पुलिस का ध्येय वाक्य “आमजन में विश्वास – अपराधियों में भय” का नारा कहीं निरर्थक तो नहीं हो रहा?

भीलवाड़ा: पुलिस लोगों को सुरक्षा देने के लिए होती है लेकिन जब पुलिस ही बदमाशों की तरह आक्रमणकारी हो जाए तो फिर लोग कहां जाएंगे। भीलवाड़ा के प्रताप नगर थाने में पुलिस का क्रूर चेहरा सामने आया है।

भीलवाड़ा के प्रताप नगर थाने में गिरफ्तार एक आरोपी से पुलिस ने दरिंदगी करते हुए उससे जबरन उसके दाढ़ी के बाल नुचवाए। साथ ही एसएचओ ने उसका वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर वायरल भी कर दिया। वायरल वीडियो का मामला तूल पकड़ने पर एसएचओ को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया है। बताया जाता है कि पुलिस थाना प्रतापनगर ने सुरेश गुर्जर को गिरफ्तार किया था। इस दौरान पुलिस ने उसे प्रताड़ित किया। वीडियो सामने के आने के बाद मामले में थानाधिकारी, प्रतापनगर समेत 3 पुलिस कर्मियों को तत्काल सस्पेंड भी कर दिया गया है।

इस मामले पर भीलवाड़ा पुलिस अधीक्षक राजन दुष्यन्त ने बताया कि प्रतापनगर थाना पुलिस ने एक मामले में सुरेश गुर्जर को गिरफ्तार किया था। पूछताछ के दौरान थानाधिकारी सुगन सिंह, सब इंस्पेक्टर महेन्द्र खोजी और कांस्टेबल बनवारी लाल ने गिरफ्तार युवक को प्रताड़ित किया और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दिया। इस मामले में कार्रवाई करते हुए तीनों को सस्पेंड कर दिया है।

भीलवाड़ा के प्रतापनगर थाने में पहले भी इस तरीके के मामले सामने आ चुके हैं। परंतु प्रशासन की मिलीभगत के चलते इस तरीके के मामलों में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई।

आपको बता दें कि पूर्व में इसी तरीके का एक मामला सामने आया था। अजमेर ब्यावर जिले के बिजयनगर कस्बे पर नेशनल हाईवे पर स्थित परवीन कागी केरियर के मालिक शंभू लाल गुर्जर निवासी ग्राम नगर ने भीलवाड़ा के प्रताप नगर थाने पूर्व एसएचओ और हेड कांस्टेबल चांद सिंह राणावत पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन द्वारा मुझे फसा कर प्रताड़ित किया जा रहा है। महिला के जरिए मेरे ऊपर झूठे आरोप लगा कर मुझे बदनाम किया गया।

लगातार प्रशासन से सहयोग की मांग रखते हुए समय-समय पर पीड़ित शंभू लाल गुर्जर राजस्थान पुलिस महानिदेशक पुलिस मुख्यालय जयपुर पुलिस महानिरीक्षक अजमेर रेंज और पुलिस अधीक्षक ब्यावर को डाक द्वारा परिस्थिति से अवगत कराया गया एवं समक्ष पेश होकर अपनी आपबीती बताई। परंतु प्रशासन द्वारा जांच के आदेश जारी होने के बावजूद भी पुलिस कर्मियों की मिलीभगत के चलते इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई।

इन दोनों मामलों को देखते हुए प्रदेश में चंद पुलिस वालों के कृत्यों से खाकी शर्मसार, आमजन में विश्वास-अपराधियों में भय‘ झूठा साबित होता नज़र आ रहा है।