दुबई में आयोजित हुए COP28 शिखर सम्मेलन से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल-थानी से मुलाकात की थी। उस मुलाकात का असर यह हुआ कि सोमवार को 8 भारतीयों को रिहा कर दिया गया। इससे भारत को कूटनीतिक जीत मिली और 8 भारतीय कतर की जेल से बाहर आ गए। जिनमे से 7 लोगो की वतन वापसी भी हो गई। सभी इस राहत का श्रेय भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दे रहे हैं।
हालांकि यह कहानी इतनी छोटी नहीं बेहद लंबी है। पहले गिरफ्तारी फिर मौत की सजा और अब रिहाई के बीच भारतीय नौसेना के इन 8 पूर्व सैनिकों ने 18 महीनों का मुश्किल दौर गुजारा है। विदेश मंत्रालय ने कहा भारत सरकार कतर में हिरासत में लिए गए दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है। मंत्रालय ने कहा रिहा किए गए आठ भारतीयों में से सात भारत लौट आए हैं।
दरअसल, आठों भारतीयों की रिहाई के लिए कतर और भारत के बीच राजनयिक वार्ता चल रही थी। इसका नतीजा ये हुआ कि नौसैनिकों की मौत की सजा को बढ़ी हुई जेल की सजा में बदल दिया गया। जेल में रहने की अवधि और भी ज्यादा छोटी गई, जब भारतीयों के परिजनों ने विदेश मंत्रालय से उनकी रिहाई के लिए गुहार लगाई। परिजनों की परेशानी को समझते हुए मंत्रालय ने सभी कानूनी उपायों और कूटनीतिक रास्तों के जरिए उन्हें रिहा करवा लिया है।