जयपुर:- राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय का प्रथम दिवस का जिला शैक्षिक सम्मेलन जयपुर के राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय गांधीनगर में आयोजित हुआ। मुख्य अतिथि डा. वृन्दावन चन्द्र दास जी (संस्थापक )गौरांग इन्स्टीट्यूट फिर वैदिक एज्युकेशन , मौजूद रहे।
मुख्य वक्ता उमराव लाल वर्मा, पर्यवेक्षक दिलीप कुमार शर्मा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवीन शर्मा, दोनों जिलों के जिला अध्यक्ष पवन दत्त पाण्डेय और चौथ मल कुमावत, दोनों जिला मंत्री तारा शंकर शर्मा और अर्जुन लाल जाट, महिला मंत्री सुनीता शर्मा और रंजू सुरोलिया, सभाध्यक्ष अनिल शर्मा गुरुजी, गजानंद टीलावत सहित शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेश, संम्भाग, जिला कार्यकारिणी, उपशाखाओ के अध्यक्ष, मंत्री, कोषाध्यक्ष, महिला मंत्री, सहित संगठन के कई ज्येष्ठ श्रेष्ठ पदाधिकारी, कार्यकर्ताओं और शिक्षक मौजूद रहे।
मंच संचालन जिला मंत्रियों ने और मंच की साज-सज्जा नविता कशिवा, सुनीता शर्मा, भावना सक्सैना, गीतांजलि शर्मा, प्रमिला वर्मा, रंजू सुरोलिया, रुकमनी चौधरी सहित अन्य महिला शक्ति ने किया।
मंचासीन पदाधिकारियों का परिचय जयपुर द्वितीय के जिलाध्यक्ष चौथ मल कुमावत ने एवं जयपुर प्रथम के जिलाध्यक्ष पवन पाण्डेय ने जिला शैक्षिक सम्मेलनों का उद्देश्य एवं महत्व बताते हुए सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
मुख्य अतिथि वृंदावन चन्द्र दास जी ने गीता के सिद्धांतों को अपनाते हुए सभी लोगों को जोड़ने का सुझाव दिया और बताया कि सृष्टि को नहीं बल्कि व्यक्ति को , स्वयं उसकी दृष्टि और सोच बदलनी चाहिए। ज्ञान जब क्रमबद्ध तरीके से लिया जाता है ,तब विद्या का रूप लेकर सर्वांगीण विकास होता है और उन्होंने ईश्वर की भक्ति पर भी जोर दिया।
मुख्य वक्ता उमराव लाल जी ने बताया कि शिक्षा का सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षक को पहले अपनी पूरी तैयारी करके कक्षा में जाना चाहिए, जिससे छात्रों को अधिक सीखने का मौका मिलेगा। उन्होंने मातृशक्ति को आगे बढ़ने पर भी जोर दिया। शिक्षक को निष्ठावान होकर कार्य करते रहना चाहिए और उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षक संघ राष्ट्रीय के कार्यकर्ता हमेशा से ही राष्ट्रीयता की भावना से कार्य करते रहे हैं और करते रहेंगे।
शिक्षक संघ राष्ट्रीय के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवीन कुमार शर्मा ने बताया कि शिक्षा विभाग में जो विभिन् प्रकार के प्रयोग किये जा रहें हैं वो ग़लत है। पहले से ही शिक्षकों की विभिन्न विभागों में अन्य जगहों पर गैर शैक्षणिक कार्यों में ड्यूटियां लगा दी जाती है, उसके बाद भी ऑनलाइन शिक्षा और विभिन्न प्रकार के ऐप्स लागू किये जा रहे हैं, जिससे बच्चों को पढ़ाने का समय नहीं मिलता।
पर्यवेक्षक दिलीप कुमार शर्मा ने बताया कि संगठन के कार्यकर्ताओं की भूमिका आपस में मिलकर कार्य करने की होनी चाहिए। सरकार जुलाई माह से सत्र प्रारंभ होने के बाद से ही लगातार शिक्षकों की विभिन्न क्षेत्रों में ड्यूटी लगा रखी है , जिससे बच्चों को पढाने का समय नहीं मिलता, और 10 अक्टूबर तक बच्चों का 30% ही कोर्स पूरा हुआ है,इसलिए शिक्षकों को गैरशैक्षणिक कार्यों से मुक्त किया जाए।