जयपुर- राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) विगत तीन माह से उपशाखा से संभाग स्तर पर पद यात्रा, सद्बुद्धि यज्ञ, वार्ता, प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार के नाम ज्ञापन सौपते हुए अपनी जायज मागों के समाधान की माँग कर रहा है किंतु हुक्मरानो के कानों में जू तक नहीं रेंग पाई। जिसको लेकर राज्य के शिक्षको में भारी आक्रोशित होकर सड़को पर आकर शिक्षक महापंचायत करने विवश हुआ है।
संगठन के प्रदेशाध्यक्ष रमेशचंद्र पुष्करणा ने बताया कि शिक्षक महापंचायत में हजारों की संख्या में शिक्षक काली टोपी पहनकर सूरज मैदान, जयपुर में एकत्रित हुए। महापंचायत में नारे, प्रदर्शन कर शिक्षक हितों की वाजिब मांगों के प्रति असंवेदनशील रवैये को लेकर सरकार व उनके अधिकारियों को कोसा गया। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी तुरंत शिक्षक विरोधी निर्णयों को वापस ले। उन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों से मांग की कि शिक्षकों की सभी वाजिब मांगों को अपने घोषणा पत्र में सम्मिलित करें और सरकार बनने के प्रथम सौ दिवस में उन्हें पूरा करें।
महापंचायत के लिए शिक्षक भी हुए मजबुर –
आन्दोलन के संयोजक एवं प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष सम्पतसिंह ने कहा कि पहले केवल विभिन्न समाजों के द्वारा अपनी मांगों को लेकर महापंचायत की जाती रही है। किंतु वाजिब मांगो को नजरन्दाज व अनसुना कर केवल आश्वासन देते रहने के कारण शिक्षको को भी महापंचायत करने विवश होना पड़ा है। राज्य सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये से नाराज संगठन के हजारों शिक्षको ने संगठन की स्थाई समिति के निर्णयानुसार शिक्षक महापंचायत कर हुंकार भरकर बता दिया है कि अब शिक्षक समाज इसे सहन नहीं करेगा।
महापंचायत ने पारित किए पांच प्रस्ताव –
संगठन के प्रदेश महामंत्री महेंद्र कुमार लखारा ने बताया कि महापंचायत में पांच प्रस्ताव लिए है।
प्रस्ताव संख्या 1 –
शिक्षकों के सभी संवर्गों की पदोन्नतियां सरकार के गठन से अब तक लंबित हैं। सभी शिक्षक 5 वर्ष से पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं। किंतु सरकार का ध्यान इस पर नहीं है। अतः यह महापंचायत मांग करती है कि आचार संहिता लगने से पूर्व समस्त संवर्गों की पदोन्नति की जाए।
प्रस्ताव संख्या 2 –
शिक्षकों को मूल कार्य से भटकाकर, शिक्षण व्यवस्था को चौपट करने की मंशा को छोड़कर, छात्र हित को केंद्र में रखकर ‘शिक्षक को पढ़ाने व छात्रों को पढ़ने दो’ के भाव को समझकर शिक्षकों को बीएलओ सहित समस्त गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त किया जावे।
प्रस्ताव संख्या 3 –
‘खूब किए वादे पूरे करने के नहीं इरादे’ को चरितार्थ करते हुए सरकार की अध्यापकों के स्थानांतरण की थोथी घोषणाएं अब तक पूरी नहीं हुई है। लंबे समय से दूरस्थ स्थानों पर बैठा अध्यापक घर-परिवार के पास रहने के सपने संजोए बैठा है। जिनको आवेदन करवाकर स्थानांतरण नीति का झुनझुना पकड़ाकर कर वर्तमान सरकार ने शिक्षकों के साथ छल किया है। वर्तमान सरकार ने अपने पूरे 5 वर्ष के कार्यकाल में अध्यापक संवर्ग के तबादले नहीं करने पर आज इस शिक्षक महापंचायत में सरकार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया जाता है।
प्रस्ताव संख्या 4 –
वेतन विसंगति निराकरण हेतु पूर्व में गठित सावंत कमेटी एवं खेमराज कमेटी द्वारा सरकार को सौंपी गई वेतन विसंगतियों की रिपोर्ट को सरकार ने ठंडे बस्ते में डालकर रख दिया है जबकि शिक्षकों की समस्त संवर्गों के आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए दोनों कमेटियों की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर सरकार को पारदर्शिता दिखानी चाहिए। इसके स्थान पर सरकार ने इसे दबाकर समस्त संवर्ग के शिक्षकों के हितों की अनदेखी की है। अतः इस महापंचायत में हम सभी संवर्ग के शिक्षक एक मत से यह प्रस्ताव पारित करते हैं कि तत्काल प्रभाव से वेतन व संगतियों को दूर किया जावे।
प्रस्ताव संख्या 5 –
राजस्थान सरकार के संवेदनशील मुख्यमंत्री महोदय ने 5 सितंबर 2023 को शिक्षक-सम्मान समारोह के कार्यक्रम में शिक्षकों को ऑनलाइन एवं गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करने का वादा किया और उसी दिन ‘मोबाइल शिक्षक ऐप’ लॉन्च किया जिसके अंतर्गत हर शिक्षक को अपनी कक्षा के छात्रों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए आदेश जारी किए गए हैं जो सरकार की दोहरी नीति को दर्शाता है। आज इस महापंचायत में इस काले कानून का विरोध में प्रस्ताव पारित किया जाता है।
नहीं सुना तो, कोप भाजन का होना पड़ेगा शिकार –
राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ भामस के प्रदेशाध्यक्ष अरविंद व्यास ने कहा कि राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा नित नए-नए प्रयोग कर शिक्षको को गैर शैक्षणिक कार्याे की ओर धकेला जा रहा है। शिक्षक कक्षा कक्ष में अध्यापन तक करवा नहीं पा रहा। बोर्ड परीक्षा परिणाम के बाद अपनी गलत नीतियों का ठीकरा शिक्षको पर फोड़ा जाता रहा है। दमनकारी नीति अपनाते हुए वाजिब मांगो को अनसुना किया गया है। अब भी कोई ठोस सकारात्मक कदम नहीं उठाए जाते, तो आगामी समय मे शिक्षको के कोप भाजन का शिकार होना पड़ सकता है।
प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीमती अरूणा शर्मा ने कहा कि हम इस सरकार को अन्तिम रूप से चेतावनी देते है कि तुरन्त शिक्षक विरोधी निर्णयों को वापिस लेवें, महिलाओं की चाईल्ड केयर लिव पर पुराने नियमों के अनुसार पूरे अवकाश में पूर्ण वेतन दिया जाये।
घोषणाओं पर अमल नहीं, फिर कैसे कहे लोकतांत्रिक सरकार –
संगठन के प्रदेश अतिरिक्त महामंत्री ने कहा कि विद्यमान कांग्रेस सरकार ने अपने स्वयं के घोषणा पत्र को जन घोषणा पत्र का नाम दिया लेकिन उक्त घोषणा पत्र में शिक्षको से सम्बंधित किये गए वादों में से एक भी वादा अब तक पूरा नहीं किया। फिर कैसे कहे लोकतांत्रिक सरकार।
शिक्षक समस्याओं पर चर्चा करते हुए प्रदेश संरक्षक प्रहलाद शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले शिक्षा सत्र में पांच हजार विद्यालयों को क्रमोन्नत तो कर दिया। लेकिन एक साल बाद भी यहां न तो शिक्षक लगाए गए हैं और न ही पदों की स्वीकृति मिली। उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाचार्य नहीं है तो उच्च प्राथमिक में अध्यापकों को टोटा। ऐसे में यह कहा जाए कि विद्यालयों का सिर्फ साइन बोर्ड ही बदला है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवीन कुमार शर्मा ने कहा कि सरकार असंवेदनशील, संवादहीन बनी हुई है। शिक्षकों के हितों की अनदेखी कर रही है।
ये है ज्वलंत मांगे –
संगठन के संरक्षक श्री राजनारायण शर्मा, श्री उमराव लाल वर्मा, संगठन की सह संगठन महिला मंत्री सुशीला जाट एवं महिला प्रदेश उपाध्यक्ष सुषमा विश्नोई तथा उपाध्यक्ष मा.शिक्षा अरुणा शर्मा संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रारम्भिक शिक्षा अमरजीत सिंह एवं 9 संभागों के प्रदेश उपाध्यक्ष यथा कैलाशचंद सुथार, ओमप्रकाश विश्नोई, दीनदयाल शर्मा, कृष्ण कुमार सैनी, बसंत जिंदल, रूपाराम खोजा, योगेश कुमार शर्मा, शैतानसिंह राठौड़, ऋषिन चौबीसा व अभय सिंह राठौड़ संस्कृत शिक्षा उपाध्यक्ष ने संगठन की 11 सूत्री मांगों से अवगत करवाते हुए कहा कि सरकार विगत वर्षों से तृतीय वेतन श्रृंखला शिक्षको के स्थानान्तरण तक नही कर पाई है। बीएलओ सहित ढेरो गैर शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों को झोख रखा है। संगठन की मांग है कि थर्ड ग्रेड शिक्षको के ट्रांसफर किये जावे तथा बीएलओ व गैर शैक्षणिक कार्याे से तत्काल मुक्त किया जावे।
अध्यापकों,वरिष्ठ अध्यापको के सभी संवर्गाे की वेतन विसंगतियों का निराकरण व उन सभी के नोशनल लाभ के प्रकरणों में एकरूपता लाने। 8-16-24-32 वर्ष पर ए.सी.पी.व पदोन्नति पद का वेतनमान प्रदान करने, आवश्यकता पड़ने पर तत्काल सीसीएल अवकाश स्वीकृत करने नियमो में बदलाव कर आदेश जारी करने, सम्पूर्ण सेवाकाल में परिवीक्षा अवधि केवल एक बार एक वर्ष करने, नियमित वेतन श्रृंखला में फिक्सेशन के समय परिवीक्षा अवधि को भी जोड़ने, सभी संवर्गाे की नियमित वर्षवार डीपीसी कर पदस्थापन करने, पातेय वेतन पर पदोन्नति शिक्षको को कार्यग्रहण की तिथि से वित्तीय परिलाभ व वरिष्ठता प्रदान करने, संस्कृत शिक्षा मे प्रवेशिका को वरिष्ठ उपाध्याय मे क्रमोन्नत करने तथा संगठन के मांग पत्र में वर्णित प्रारम्भिक, माध्यमिक, संस्कृत शिक्षा के शिक्षको की माँगो के समाधान करने की माँग की है।